निकल पड़े हैं इन सुनसान रास्तो पर,
कोई बचा लो वर्ना हम भटक जाएंगे...!!!
इनती दर्द भरी रहती यूँ जीने में,
कोई बचा लो वर्ना हम भटक जाएंगे...!!!
इनती दर्द भरी रहती यूँ जीने में,
बेवक्त वो गुलाबी कटोरे छलक जाएंगे...!!!,
यूँ परिंदे भी हो जैसे खेतो के मजदूर,
शाम होते ही अपने कोटर को लौट जाएंगे...!!!
जिंदगी के रास्तों में तमाम गड्ढे हैं,
ज़रा गाडी आहिस्ते चलाओ नहीं तो पलट जाएंगे...!!!
इस कहानी को पानी में लिखने से क्या फायदा,
सारी बातें तो लहरें ही चुरा ले जाएंगे...!!!
दिन में परियो की काहानिया मत सुना ए राहुल,
जाना दूर हैं मुसाफिर रास्ता भटक जाएंगे...!!!
(हामारी डायरी का एक अंश)
यूँ परिंदे भी हो जैसे खेतो के मजदूर,
शाम होते ही अपने कोटर को लौट जाएंगे...!!!
जिंदगी के रास्तों में तमाम गड्ढे हैं,
ज़रा गाडी आहिस्ते चलाओ नहीं तो पलट जाएंगे...!!!
इस कहानी को पानी में लिखने से क्या फायदा,
सारी बातें तो लहरें ही चुरा ले जाएंगे...!!!
दिन में परियो की काहानिया मत सुना ए राहुल,
जाना दूर हैं मुसाफिर रास्ता भटक जाएंगे...!!!
(हामारी डायरी का एक अंश)
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