अश्कों की बातें दिल भी नाजाने,
सब्र की पुल पर खड़े हैं देख,
ना जाने कितने तराने....
कुछ बिखरे यादें हैं तो कुछ टूटे पैमाने...
इतनी खामोसिया रहती सुनी रातों में,
एकाएक कहा चल जाते झिगुरों के तराने,
खैर ज़िन्दगी भी हैं ऐसी की,
लिए चलते हैं उनको भी घुमाने फिराने....
सब्र की पुल पर खड़े हैं देख,
ना जाने कितने तराने....
कुछ बिखरे यादें हैं तो कुछ टूटे पैमाने...
इतनी खामोसिया रहती सुनी रातों में,
एकाएक कहा चल जाते झिगुरों के तराने,
खैर ज़िन्दगी भी हैं ऐसी की,
लिए चलते हैं उनको भी घुमाने फिराने....
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें