बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखिया....!!!______ प्यासे गले में उतर आती....देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!______ पलके उचका के हम भी सोते हैं ए राहुल....पर ख्वाब हैं की उन पर अटकते ही नहीं....!!!______ आईने में आइना तलाशने चला था मैं देख....कैसे पहुचता मंजिल तो दूसरी कायनात में मिलती....!!! धुप में धुएं की धुधली महक को महसूस करते हुए....जाने कितने काएनात में छान के लौट चूका हूँ मैं....!!!______बर्बादी का जखीरा पाले बैठी हैं मेरी जिंदगी....अब और कितना बर्बाद कर पाएगा तू बता मौला....!!!______ सितारे गर्दिशों में पनपे तो कुछ न होता दोस्त....कभी ये बात जाके अमावास के चाँद से पूछ लो....!!!______"
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सोमवार, 13 जनवरी 2014

जिंदगी की पतंग


Kites...Different Colors ... Distinguishing the Different Character of them ... 
Expectation flying high string winded up to it ... 
Why not us to free our soul and just vapourise enough to touch those free clouds in sky ... Giving nudge to the kite as it was their kid playing under Blue Park ... !!

पतंग टंगे हैं फलक से
मानो डोर बंधी हो
बादल से लटक रहे...!!!

मन हो रहा
उचक के छु लूँ उन्हें...
पर खेल बिगड़ जाएगा इनका...!!

हाँ लाल को लाल से
काट रहे
मंझे भी दाँत निकाले टहल रहे..!!

जिसे पाए काट खाए
और..
गिरा दे फिर एक नए उड़ान खातिर..!!

मकर संक्रांति और खिचड़ी की हार्दिक बधाईयाँ ...!!

©खामोशियाँ-२०१४

शनिवार, 1 जून 2013

एहसास


करना हो एहसास इज़हार करके देखो...
बढ़ी हो प्यास प्यार करके देखो...!!

कितने पागल हैं लोग इस प्यार मे...
यकीन न हो चश्मा उतार के देखो...!!

कुछ दूरी पे मिल जाते सारे साये...
अधजली रूहों पर कपड़े चढ़ाके देखो...!!

हमारे साथ बैठती चादनी रात भर...
कभी फ़लक के चादर झाड़के देखो...!!

©खामोशियाँ

रविवार, 26 मई 2013

रात


उफ़्फ़..
फ़लक ने तोड़ दी
चमचमाती बटन..!!

बस सितारे लटके हैं
औंधे झुलते
धागे पकड़े..
बयार रोक लो ए अब्र..!!

वरना गिर पड़ेंगे
ऊपर गर्म फ़ुहारे..!!

©खामोशियाँ

शुक्रवार, 8 मार्च 2013

पार्टी


फ़लक पर
औधे लटके हैं
झिलमिलाते झालर...!!

एक तगड़ा
हलोजेन बल्ब भी
झूल रहा...!!

शाम तक खाने
का बुलावा आएगा
पार्टी हैं लगता...!!

शनिवार, 23 फ़रवरी 2013

रात रानी...!!


चाँद के यहाँ दावत...
खाने पहुचना हैं...!!

तैयार हैं सभी..
जीन्स टी-शर्ट में..!!

टांक दो फलक पर...
कुछ चमकीले बटन...!!

निशा को सेंट लगाने..
पूरी शीशी लिए आई...!!
रात रानी...!!

अरे सभी गले मिल लो...
कल वो मर जाएगी..!!

बुधवार, 6 फ़रवरी 2013

बारिश



बड़ी बेदर्दी से रोता फ़लक...
उसपे फोटो खीचते ये अब्र...!!!

बड़ी दिनों से जमाकर रखी...
बर्फीली गिट्टी मार रहा धरा को...!!!

उधड गए महीन टाँके उसके...
सुबह ही लगवाया था जिन्हें..!!!

अब कल के अखबार मे देखना...
कहाँ कितना खून टपकाया...!!!

सोमवार, 28 जनवरी 2013

रात सोना भूल गयी...!!!


रात सोना भूल गयी...!!!

कहा सुनी हो गयी फलक पर..
सब चले गए मुह फुलाए हुए...!!

तारे कम ही लिपटे थे देख..
अब्र मफलर बांधे चल दिए...!!

क्या माजरा था जान न पाया...
चाँद भी लाइट बुझा सो गया...!!

बड़ी देर से आँखे झुकाये...
पड़ा रहा टूटी खाटोले पे...!!

पर इसी कसमकस में देख..
आज रात ही सोना भूल गयी...!!

शुक्रवार, 2 नवंबर 2012

करवा चौथ स्पेशल...!!!

अर्शे से ना देखा वो भी एक बार झांक आया...कि चाँद फलक पर लटका हैं या नहीं...सही हैं एक प्यास के मारे उचक उचक के देखते ही रहे आज !!! 
धूल से धुधली पड़ी शाम की अलसाई किरने ... 
उसके इर्द गिर्द पहरा देते कुछ लफंगे अब्र ... !!! 

तन्हाई के दामन में चिपके हैं कुछ राज ... 
चलनी से देखे तो दिखेंगे वो जख्म चाँद के ... !! 

पर शायद आज न आ सकेंगे वो बूढ़े चाचा ... 
धुधिया लालटेन थामे चमकाने फलक को ... !!!

सोमवार, 8 अक्टूबर 2012

रात की थाल


अभी खाना खाने बैठा था की लाइट चली गई जो की उत्तर प्रदेश की आम बात हैं .. अब शायद इस धुधिया रौशनी में मैं खा कम और सोच ज्यादा रहा था...कुछ अजीब किसे लिखने पर शायद कुछ रचना का निर्माण हो जाए ... तो बात दे आखिर सोचा क्या हमने ...!!!
वक्त के चौके पर निशा .... कैसे बेल रही रोटी ... !!!!!
फुलाने को दबाये की धुधिया रौशनी थामे...
चमक गयी काली तवे पर .... !!!
बादलों में गुम होती जाती जैसे ...
एक नन्हा बच्चा
रात और दिन ...दिन और रात खेल रहा हो ... !!!
थाल भी सज गयी हो ... !!!
पर अचानक देखो ...उलट गयी थाली ....
चावल के दानो तरह सितारे छींटा गए पूरे फलक पर ... !!!