बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखिया....!!!______ प्यासे गले में उतर आती....देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!______ पलके उचका के हम भी सोते हैं ए राहुल....पर ख्वाब हैं की उन पर अटकते ही नहीं....!!!______ आईने में आइना तलाशने चला था मैं देख....कैसे पहुचता मंजिल तो दूसरी कायनात में मिलती....!!! धुप में धुएं की धुधली महक को महसूस करते हुए....जाने कितने काएनात में छान के लौट चूका हूँ मैं....!!!______बर्बादी का जखीरा पाले बैठी हैं मेरी जिंदगी....अब और कितना बर्बाद कर पाएगा तू बता मौला....!!!______ सितारे गर्दिशों में पनपे तो कुछ न होता दोस्त....कभी ये बात जाके अमावास के चाँद से पूछ लो....!!!______"
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शनिवार, 28 जून 2014

ईद मुबारक



चौथ का चाँद ईद का चाँद,
ये चाँद भी जुड़वा होता है क्या।

काशी का चाँद काबे का चाँद,
ये चाँद भी जुड़वा होता है क्या।

विमल का चाँद शाहिद का चाँद,
ये चाँद भी जुड़वा होता है क्या।

सोचिएगा जरा।ईद मुबारक

©खामोशियाँ-२०१४//(२८-जून-२०१४)

शनिवार, 1 जून 2013

एहसास


करना हो एहसास इज़हार करके देखो...
बढ़ी हो प्यास प्यार करके देखो...!!

कितने पागल हैं लोग इस प्यार मे...
यकीन न हो चश्मा उतार के देखो...!!

कुछ दूरी पे मिल जाते सारे साये...
अधजली रूहों पर कपड़े चढ़ाके देखो...!!

हमारे साथ बैठती चादनी रात भर...
कभी फ़लक के चादर झाड़के देखो...!!

©खामोशियाँ

रविवार, 31 मार्च 2013

जिंदगी:एक भंवर....लेख...!!!



कभी कभी हम अपने अनुभवों के संसार में केवल एक अकेले नाविक भाति हवाओं से लड़ते रहते हैं...उस भ्रम रुपी संसार के क्रिया कलापों के रचनाकार हम स्वंय ही होते हैं...!!!

हम लाख मन्नते कर ले किसी अन्य को अपने उस संसार की ऊष्मा में जलाने में पर हम उन्हें
 उससे परिचित नहीं करा सकते....उसके दुःख, पीड़ा, ख़ुशी, भावनाएं केवल अपने दायरे तक ही नियत रहती हैं ...हमारे अपने लिए होती हैं वो अजब दुनिया... दूसरों के लिए वह एक विचित्र अलग संसार जैसा हैं...वह उसके बारे में जान सकता है, पढ़ सकता है, सुन सकता है... परन्तु उसे महसूस कतई नहीं कर सकता...!!

ठीक ये बात उसी तरह होती जैसे हम छोटे थे ... हमारे बाबूजी बताते थे की हम लाखो मंदाकिनियों में विलीन हैं और उनमे से सिर्फ एक मन्दाकिनी में हम रहते .... और सूरज चाँद धरती आकाश आग पानी...सब सब इस परिवेश तलक ही हैं..दूसरी दुनिया में कुछ भी नहीं ...सिर्फ धुंध से धुधली तस्वीरे हैं ...जो दिखती नहीं इन नाजुक आँखों से..!!!

आज पता चला शायद वो सही थे...!!

~खामोशियाँ©

बुधवार, 13 मार्च 2013

ख्वाब...!!!



ख्वाब परिंदा ठहरा...
बड़ी आराम से...!!!
उड़ रहा ख्वाइशों के
नीले बैक्ग्राउण्ड मे...!!!

अचानक टकरा गया...
टूट गए पर उसके...!!!
छन्न से बिखर गयी...
मानो सारी कायनात...!!

ओह रूई के गोले...
रंगीन बनते जा रहे...!!!
सूरज पीला मरहम लिए
चाँद ढूढ़िया टॉर्च थामे...!!!

सभी आए हॉस्पिटल मे...
पर कमी हैं किसी की...!!!
मुकद्दर की गाड़ी पंचर हैं...
उसे कोई बुला लाओ...!!!

मंगलवार, 12 मार्च 2013

मालपूवा...!!!



रात नीली चासनी
उबाल रही ... !!!

झील के कड़ाहे मे
पूनम के चाँद ने
मुँह लभेड रखा ... !!!

अब मिठास
लिए घूम रहा...!!!

चखाने सबको
मालपुए का जायका...!!!

एक शक्स खोंखले
बांस से निहार रहा...!!!

बस चकोर होगा...
जा ले के आ
मुँह मीठा करा दे...!!

सोमवार, 11 मार्च 2013

रात...!!!


आज आसमान की ओर देख रहा था तो कुछ सोचा की बनाऊ तस्वीर... लेकिन रेखाओ से नहीं शब्दो से तस्वीर अटपटा लग रहा सुनने मे...!!

दूर खड़े सितारे पास बुला ले...
रात हो चली चिराग जला ले...!!!

एक उदास पुर्जा छू रहा दामन...
अंधेरा हैं घना अंदर सुला ले...!!!

झील नहाने गई बड़ी दूर लगता...
रूठी हुई चाँदनी तू मना ले...!!!

आसमान बड़ा रो रहा इनके बगैर...
वो काला कोट भी यही बिछा ले...!!

बुधवार, 6 मार्च 2013

काढ़े रुमाल...


कितनों की खिदमत का ख्याल कर रखे हैं...
हम अपनी दराज मे काढ़े रूमाल रख रखे हैं...!!

सदियों से जमती जा रही टोटियों जैसे...
अपनी हाथो से खुद जीना मुहाल कर रखे हैं...!!

रात के आते निकाल जाते स्वान बाहर...
घर के रखवाले ही अब बवाल कर रखे हैं...!!!

सोती चाँदनी को जगाने खातिर देख...
झिंगुर भी अपनी आवाज़े निहाल कर रखे हैं...!!!

मंगलवार, 26 फ़रवरी 2013

ठण्ड की वापसी....!!!


काफी दिनों बाद आज फिर कलम में रिफिल भरा दी...और टेस्ट चेक खातिर दुकान पर ही उतार दिया चंद अल्फाज...दुकानदार बाबू कह रहे थे राहुल ठण्ड गयी अब ऐश करो...हमने भी मुंडी हिला दिया...और छाप दिया कुछ पल दिमाग इतर बितर कर रहे थे...!!!!


वापसी की तैयारी में...
ठण्ड समेट रही संन्दूक...!!!

कुछ उधारी हैं...
कुछ बकाया भी...!!!

कोपले छुपाए बैठी हैं...
गौहर ओस के...!!!

बचाना कही रो ना दे..
वर्ना छींटा जाएंगे...!!!

लौटा सड़को के चश्मे
जिन्हें छीना था तूने...!!!

रूठे चाँद को भी मना...
तेरी करतूत से खफा हैं...!!!

धरा की भी सुन ले...
मफलर बाँध लेना...!!!

अब जा ट्रेन आ गयी ...
वरना देरी हो जाएगी...!!!

शनिवार, 23 फ़रवरी 2013

रात रानी...!!


चाँद के यहाँ दावत...
खाने पहुचना हैं...!!

तैयार हैं सभी..
जीन्स टी-शर्ट में..!!

टांक दो फलक पर...
कुछ चमकीले बटन...!!

निशा को सेंट लगाने..
पूरी शीशी लिए आई...!!
रात रानी...!!

अरे सभी गले मिल लो...
कल वो मर जाएगी..!!

बुधवार, 30 जनवरी 2013

चाँद का जन्मदिन...

जन्मदिन था चाँद का...सब आये थे...पर फिर भी मुह फुलाए खड़ा था...चाँद ऐसा क्यूँ...!!

आज तो जन्मदिन था चाँद का..
सितारों से सजी थी महफ़िल भी...!!

बिजली कड़क रही की फलक पे..
गिरे सहमे चाँद के बाजुओ में...!!

हवाए फूंक रही रंग बिरंगे गुब्बारे...
सितारे भी कतार में खड़े झालर बने...!!

रुका हैं चाँद किसी और के लिए...
नहीं आ पाएगा वो काट केक तू...

बड़ी सर्दी पड गयी हैं आज देख...
धरा ने ओढ़ लिया अब्रो का कम्बल...!!

शुक्रवार, 18 जनवरी 2013

यादों के रुमाल..???


गोरखपुर में बारिश हो रही सोचा बड़ी रोज से कलम शांत हैं आज उसे भी मौका दूँ वरना नाराज हो जाएगा ... अगर सोचिये आँख मिचौली हो रही हो आकाश में इस समय तो क्या मंजर हो आहा सोच के मजा आ जाता...!!!

अभी निशा अपने शबाब पर थी कि
लग गई नजर कुछ लफंगे अब्रों की..!!

गरज रहे उसके अगल बगल जैसे..
बड़ी देर से सहमी सी बैठ हैं डर के..!!

सितारा भी गिनती गिन रहा आँख मूंदे..
बादलों के साए में छुपा बैठा चाँद...!!

जरा देख हट गयी तेरे ऊपर से कवर
अब जा टिप मार दे वरना हार जाएगा..!!

लो रोने लगा चाँद हार के अब तो..
रोएंगे बादल भी उसे देख कर..!!

अब कौन ले आये यादों के रुमाल...???

मंगलवार, 15 जनवरी 2013

चाँद की डेट


आज चाँद भी जल्द चला आया...

सितारे भी जमाहियाँ लेते...!!

कोई डेट दिया होगा शाम का
तभी पूरा झिगोला पहना था..!!

काजल लगाकर आय कैसा
देख नजर ना लगे...!!

उतर गया झील में दबे पांव...

लहरों से गले मिलना था..

उफ़ बदल पकड़ ले रहे उसे बार बार...!!

बुधवार, 9 जनवरी 2013

रात हो गयी..!!!


लो चढ़ गयी निशा तम पर...

और आधी रात हो गयी..!!
लोग होंगे अपने आधे सपनो में
तभी सारी बात हो गयी..!!

गवाह नहीं ढूंढ पाया मैं..
जब यह वारदात हो गयी..!!
सुनी हैं हमारी चीखे टपकती बूंदों ने..
बस जुबान ख़ामोश हो गयी...!!


शायद आधी रात हो गयी...गिना हैं समय का आइना इन टिक टिक ने

लगता खराब समय था वो ए राहुल ..
जब तेरे साथ ये वारदात हो गयी ..!!
बुझ गए सहरों के जलते सम्मे..
परवानो के राखो की बरसात हो गयी...!!

शायद आधी रात हो गयी...लाख बातें सीने से लगाए बैठी ये 9 की रात

कुछ पूछो तो बताये की..
उस से ठिठुरती ठंडक में क्या बात हो गयी..!!
बस इतना दिख रहा था झरोखे से..
चाँद की भी नौकरी समाप्त हो गयी..!!
चढ़ गयी चादर फलक पर 
और काली रात हो गयी...!!!

शनिवार, 5 जनवरी 2013

बूढा चाँद...!!!


बूढा चाँद फिर चला आया दुधिया टोर्च जकडे..
रौशनी छनती आ रही कुछ दरीचे पकडे ..!!

एक अजब झिगोला पास अपने देख ..
अब्रो से खेलता रहता करते हज़ारों नखडे ..!!

सितारों की मधुशाला में शर्माता रहता यूँ ..
जैसे हो छोटा बच्चा हाथों में लम्चुस जकडे ..!!

मंगलवार, 20 नवंबर 2012

चांदनी


वो मंजर भी कितने मुख़्तसर रहते ..
चांदनी उतरती झील में लोग ताकते रहते ..!!

मेरी सल्तनत भी अकेली रात में ठिठुरती ..
जब अँधेरे राज करते और उजाले झांकते रहते ..!!

शुक्रवार, 2 नवंबर 2012

करवा चौथ स्पेशल...!!!

अर्शे से ना देखा वो भी एक बार झांक आया...कि चाँद फलक पर लटका हैं या नहीं...सही हैं एक प्यास के मारे उचक उचक के देखते ही रहे आज !!! 
धूल से धुधली पड़ी शाम की अलसाई किरने ... 
उसके इर्द गिर्द पहरा देते कुछ लफंगे अब्र ... !!! 

तन्हाई के दामन में चिपके हैं कुछ राज ... 
चलनी से देखे तो दिखेंगे वो जख्म चाँद के ... !! 

पर शायद आज न आ सकेंगे वो बूढ़े चाचा ... 
धुधिया लालटेन थामे चमकाने फलक को ... !!!

रविवार, 14 अक्टूबर 2012

ट्रेन की यात्रा...!!!




सूरज छतरी ताने चल रहा बगल में ,
एक तूफान पर औंधे मुह लिपटी ट्रेन ..
हर मंजर हर जगह पीछे छूट रहे.. !!

बस साथ चल रही वही तन्हाई के अब्र..
कितने अन्शको के सैलाब अपने जिगर में लपेटे ..
टपका रहे हमे ओस की बूंदों में घोलकर .. !!

हौले हौले एक खून से लतपथ लाल साँझ भी ...
डूब रही हैं धीरे धीरे .. !!

और रात भी खामोसी से आ गयी ओढ़ ढाँप के..
कोई शायर खोज रहा धुधिया रौशनी ..
कोई बता दे उसे कि आज अमावस हैं .. !!

वरना खामखा आंखे बिछा कर रखेगा...
पुरानी खटोले पर सोये टकटकी लगाए .. !!

सोमवार, 8 अक्टूबर 2012

रात की थाल


अभी खाना खाने बैठा था की लाइट चली गई जो की उत्तर प्रदेश की आम बात हैं .. अब शायद इस धुधिया रौशनी में मैं खा कम और सोच ज्यादा रहा था...कुछ अजीब किसे लिखने पर शायद कुछ रचना का निर्माण हो जाए ... तो बात दे आखिर सोचा क्या हमने ...!!!
वक्त के चौके पर निशा .... कैसे बेल रही रोटी ... !!!!!
फुलाने को दबाये की धुधिया रौशनी थामे...
चमक गयी काली तवे पर .... !!!
बादलों में गुम होती जाती जैसे ...
एक नन्हा बच्चा
रात और दिन ...दिन और रात खेल रहा हो ... !!!
थाल भी सज गयी हो ... !!!
पर अचानक देखो ...उलट गयी थाली ....
चावल के दानो तरह सितारे छींटा गए पूरे फलक पर ... !!!

सोमवार, 1 अक्टूबर 2012

चाँद थाल में...!!!


कभी था पर कभी उसे ना पता हैं,
छोटी छोटी बातों में क्यूँ मद खपाता हैं...!!

एक सांझ रोज आती घूँघट काढ़े,
क्यूँ ना तू उसे अपने लिए मनाता हैं..!!!

देख रोज चाँद भटक आता यहाँ पर,
क्यूँ ना तू उस रौशनी में नहाता हैं...!!!

जिंदगी तो ठहरी मजदूर जन्नुम की,
क्यूँ ना तू कटोरे में रोटी प्याज सजाता हैं...!!

बूढी इमली पीछे दुधिया टोर्च थामे रखता,
दिन ठीक हैं वरना यह चाँद भी लडखडाता हैं...!!!

एक अजीब रात...!!!


आज यह रात भी आ गयी ... !!!

जैसे हो किसी घने बगीचे के...

पेडो कि ओट लिए छुपते छुपते...!!!

लगता हैं बादल की जेब से..

चाँद की चमकती अठन्नी चुराई हैं..!!!

वही फटी पुरानी काली शाल लपेटे...

चल पड़ी हैं मेले में गुम होने को...!!!

अब यह सन्नाटे इसकी...

आखों में धूल जैसे चुभ रहे...!!!

कोई बुला तो दे उन झीगुरों के..
टोलियों को कहा गायब हो गए...!!