काफी दिनों बाद आज फिर कलम में रिफिल भरा दी...और टेस्ट चेक खातिर दुकान पर ही उतार दिया चंद अल्फाज...दुकानदार बाबू कह रहे थे राहुल ठण्ड गयी अब ऐश करो...हमने भी मुंडी हिला दिया...और छाप दिया कुछ पल दिमाग इतर बितर कर रहे थे...!!!!
वापसी की तैयारी में...
ठण्ड समेट रही संन्दूक...!!!
कुछ उधारी हैं...
कुछ बकाया भी...!!!
कोपले छुपाए बैठी हैं...
गौहर ओस के...!!!
बचाना कही रो ना दे..
वर्ना छींटा जाएंगे...!!!
लौटा सड़को के चश्मे
जिन्हें छीना था तूने...!!!
रूठे चाँद को भी मना...
तेरी करतूत से खफा हैं...!!!
धरा की भी सुन ले...
मफलर बाँध लेना...!!!
अब जा ट्रेन आ गयी ...
वरना देरी हो जाएगी...!!!
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