बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखिया....!!!______ प्यासे गले में उतर आती....देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!______ पलके उचका के हम भी सोते हैं ए राहुल....पर ख्वाब हैं की उन पर अटकते ही नहीं....!!!______ आईने में आइना तलाशने चला था मैं देख....कैसे पहुचता मंजिल तो दूसरी कायनात में मिलती....!!! धुप में धुएं की धुधली महक को महसूस करते हुए....जाने कितने काएनात में छान के लौट चूका हूँ मैं....!!!______बर्बादी का जखीरा पाले बैठी हैं मेरी जिंदगी....अब और कितना बर्बाद कर पाएगा तू बता मौला....!!!______ सितारे गर्दिशों में पनपे तो कुछ न होता दोस्त....कभी ये बात जाके अमावास के चाँद से पूछ लो....!!!______"

बुधवार, 20 फ़रवरी 2019

मैं गीत वही दोहराता हूँ


मैं डूब डूब के चलता हूँ,
मैं गीत वही दोहराता हूँ।

जो दौड़ कभी था शुरू किया,
उस पर दम भी भरता हूँ।
हर रोज ही अपनी काया को,
तेरे पर अर्पित करता हूँ।

कुछ बीज अपने सपनो के,
मैं खोज खोज के लाता हूँ।
एक कल्पतरु लगाने को,
मैं रीत वही दोहराता हूँ।

मैं डूब डूब के चलता हूँ,
मैं गीत वही दोहराता हूँ।

दो हाथ जुड़े कई हाथ मिले,
कुछ मोती से मुक्ताहार बने।
जो साथ चले वो ढाल दिए,
हम रणभेरी से हुकार किए।

हर बाधा से दो-चार किए,
हम ताकत से प्रतिकार किये।
फिर वही से मैं सुनाता हूँ,
मैं प्रीत वही बताता हूँ।

मैं डूब डूब के चलता हूँ,
मैं गीत वही दोहराता हूँ।



- खामोशियाँ | (20 - फरवरी - 2018)

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