बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखिया....!!!______ प्यासे गले में उतर आती....देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!______ पलके उचका के हम भी सोते हैं ए राहुल....पर ख्वाब हैं की उन पर अटकते ही नहीं....!!!______ आईने में आइना तलाशने चला था मैं देख....कैसे पहुचता मंजिल तो दूसरी कायनात में मिलती....!!! धुप में धुएं की धुधली महक को महसूस करते हुए....जाने कितने काएनात में छान के लौट चूका हूँ मैं....!!!______बर्बादी का जखीरा पाले बैठी हैं मेरी जिंदगी....अब और कितना बर्बाद कर पाएगा तू बता मौला....!!!______ सितारे गर्दिशों में पनपे तो कुछ न होता दोस्त....कभी ये बात जाके अमावास के चाँद से पूछ लो....!!!______"
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शुक्रवार, 12 अप्रैल 2013

एक शाम चुरा लूँ...


बड़ा दूर चला आया हूँ...इस मझी हुई ज़िंदगी मे...कुछ लम्हे नोच कर बटुए मे रख लू...!!
एक शाम को ढलता सूरज...उसपे डोरे डालते लफंगे अब्र....क्या मनोहर दृश्य रहता...पर फुर्सत नहीं हमे की देख सके उनकी अठकेलियाँ...!!

बस चाहता हूँ...
वक़्त की डायरी से
चुरा लूँ एक शाम...!!
यादों की भींड से
बुला लूँ एक नाम...!!
वादो की ढ़ेबरी मे
माना लू एक जाम...!!
साजो की गगरी से
सजा लू एक पैगाम...!!
बस चाहता हूँ...

~खामोशियाँ©

बुधवार, 27 मार्च 2013

सपनों की होली...!!


पानी नहीं तो
होली कैसी...!!

रंगो मे हो
सफेदी जैसी...!!

शाम को
छलकेंगे आँसू...!!

और बहकेंगे...
वो भी हरसू...!!

महफिल ना होगी...
लोग न होंगे...!!

फिर भी जमेगी
सपनों की होली...!!

~खामोशियाँ©