भोर के तारे,सांझ का आलस,रात का सूरज,पतझड़ के भौरे.... ताकते हैं हमेशा एक अजीब बातें जो लोग कहते हो नहीं सकता... चलते राहों पर मंजिल पाने को पैदल चल रहे कदमो में लिपटे धूल की परत... एक अनजाने की तरह उसे धुलने चल दिए...कितनी कशिश थी उस धूल की हमसे लिपटने की...कैसे समझाए वो...मौसम भी बदनुमा था शायद या थोड़ा बेवफा जैसा...एक जाल में था फंसा हर आदमी जाने क्यूँ पता नहीं क्यूँ समझ नहीं पाता इतना सा हकीकत...एक तिनका हैं वो और कुछ भी नहीं...कुछ करना न करना में उसे हवाओं का साथ जरूरी हैं..
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मंगलवार, 19 मार्च 2013
शुक्रवार, 18 जनवरी 2013
यादों के रुमाल..???
गोरखपुर में बारिश हो रही सोचा बड़ी रोज से कलम शांत हैं आज उसे भी मौका दूँ वरना नाराज हो जाएगा ... अगर सोचिये आँख मिचौली हो रही हो आकाश में इस समय तो क्या मंजर हो आहा सोच के मजा आ जाता...!!!
अभी निशा अपने शबाब पर थी कि
लग गई नजर कुछ लफंगे अब्रों की..!!
गरज रहे उसके अगल बगल जैसे..
बड़ी देर से सहमी सी बैठ हैं डर के..!!
सितारा भी गिनती गिन रहा आँख मूंदे..
बादलों के साए में छुपा बैठा चाँद...!!
जरा देख हट गयी तेरे ऊपर से कवर
अब जा टिप मार दे वरना हार जाएगा..!!
लो रोने लगा चाँद हार के अब तो..
रोएंगे बादल भी उसे देख कर..!!
अब कौन ले आये यादों के रुमाल...???
बुधवार, 9 जनवरी 2013
रात हो गयी..!!!
लो चढ़ गयी निशा तम पर...
और आधी रात हो गयी..!!
लोग होंगे अपने आधे सपनो में
लोग होंगे अपने आधे सपनो में
तभी सारी बात हो गयी..!!
गवाह नहीं ढूंढ पाया मैं..
गवाह नहीं ढूंढ पाया मैं..
जब यह वारदात हो गयी..!!
सुनी हैं हमारी चीखे टपकती बूंदों ने..
सुनी हैं हमारी चीखे टपकती बूंदों ने..
बस जुबान ख़ामोश हो गयी...!!
शायद आधी रात हो गयी...गिना हैं समय का आइना इन टिक टिक ने
लगता खराब समय था वो ए राहुल ..
जब तेरे साथ ये वारदात हो गयी ..!!
बुझ गए सहरों के जलते सम्मे..
बुझ गए सहरों के जलते सम्मे..
परवानो के राखो की बरसात हो गयी...!!
शायद आधी रात हो गयी...लाख बातें सीने से लगाए बैठी ये 9 की रात
कुछ पूछो तो बताये की..
शायद आधी रात हो गयी...लाख बातें सीने से लगाए बैठी ये 9 की रात
कुछ पूछो तो बताये की..
उस से ठिठुरती ठंडक में क्या बात हो गयी..!!
बस इतना दिख रहा था झरोखे से..
बस इतना दिख रहा था झरोखे से..
चाँद की भी नौकरी समाप्त हो गयी..!!
चढ़ गयी चादर फलक पर
और काली रात हो गयी...!!!
शनिवार, 20 अक्टूबर 2012
सुबह की चुस्की...!!!
आज काफी दिन बाद भोर में ही नींद खुल गयी अब क्या था महसूस होते गया हर वो आलम जो प्रकृति मजे ले रही थी और उठा लाया अपनी कलम दवात साजाने को हर वो मंजर जो सुबह की चुस्की ले रहा...!!!आज सुबह भी सर्द अंगडाईयाँ लेती
दुबुक गयी अब्र की रजाईयों में..!!!
सूरज भी उठा देर से थामे
रंगबिरंगे मंजन सजाये ब्रश पर....!!!
बयार आ गयी सुबह थामे बर्फीले अक्स
जैसे लिए हो सुबह की अलार्म घडी...!!!
रात को देर हो गयी थी सोने में
देख तभी निशा जाने का नाम न ले रही..!!!
बुधवार, 17 अक्टूबर 2012
सूरज का जन्मदिवस .. !!!
सबके जनम दिवस पर बधाइयां लिखते लिखते यूँ ही सोचने लगा की अगर सूरज जन्मदिन मनाये तो उसमे आखिर क्या...कमी रह जाएगी...उसे बता नहीं सकता बस लिख सकता हूँ भावनाओं की आवा पोह को जेहन में से ... !!!
हवाओं ने फुक मारा के फूल गया गुब्बारा..
बाँध दिया उसके सिरे को पहाड़ों के टीलों से ..!!
बड़े ख़ुशी से उड़ते अब्र उसकी मांघ झाड रहे ..
पक्षी भी चल दिए लोगों को न्योता बाटने ..
चमकती बिजली लिए तैयार बर्फ का केक काटने को .. !!
कोई अकेले बैठा था मुरझाये एक कोने में ..
पर मना न सकता कोई उसको आने खातिर .. !!
उसके आते पिन लग जाएगी गुब्बारे में ...
निशा ओह्ह निशा मुमकिन नहीं बुलाना .. !!
रविवार, 14 अक्टूबर 2012
ट्रेन की यात्रा...!!!
सूरज छतरी ताने चल रहा बगल में ,
एक तूफान पर औंधे मुह लिपटी ट्रेन ..
हर मंजर हर जगह पीछे छूट रहे.. !!
बस साथ चल रही वही तन्हाई के अब्र..
कितने अन्शको के सैलाब अपने जिगर में लपेटे ..
टपका रहे हमे ओस की बूंदों में घोलकर .. !!
हौले हौले एक खून से लतपथ लाल साँझ भी ...
डूब रही हैं धीरे धीरे .. !!
और रात भी खामोसी से आ गयी ओढ़ ढाँप के..
कोई शायर खोज रहा धुधिया रौशनी ..
कोई बता दे उसे कि आज अमावस हैं .. !!
वरना खामखा आंखे बिछा कर रखेगा...
पुरानी खटोले पर सोये टकटकी लगाए .. !!
सोमवार, 8 अक्टूबर 2012
रात की थाल
वक्त के चौके पर निशा .... कैसे बेल रही रोटी ... !!!!!
अभी खाना खाने बैठा था की लाइट चली गई जो की उत्तर प्रदेश की आम बात हैं .. अब शायद इस धुधिया रौशनी में मैं खा कम और सोच ज्यादा रहा था...कुछ अजीब किसे लिखने पर शायद कुछ रचना का निर्माण हो जाए ... तो बात दे आखिर सोचा क्या हमने ...!!!
फुलाने को दबाये की धुधिया रौशनी थामे...
चमक गयी काली तवे पर .... !!!
बादलों में गुम होती जाती जैसे ...
एक नन्हा बच्चा
रात और दिन ...दिन और रात खेल रहा हो ... !!!
थाल भी सज गयी हो ... !!!
पर अचानक देखो ...उलट गयी थाली ....
चावल के दानो तरह सितारे छींटा गए पूरे फलक पर ... !!!
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