बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखिया....!!!______ प्यासे गले में उतर आती....देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!______ पलके उचका के हम भी सोते हैं ए राहुल....पर ख्वाब हैं की उन पर अटकते ही नहीं....!!!______ आईने में आइना तलाशने चला था मैं देख....कैसे पहुचता मंजिल तो दूसरी कायनात में मिलती....!!! धुप में धुएं की धुधली महक को महसूस करते हुए....जाने कितने काएनात में छान के लौट चूका हूँ मैं....!!!______बर्बादी का जखीरा पाले बैठी हैं मेरी जिंदगी....अब और कितना बर्बाद कर पाएगा तू बता मौला....!!!______ सितारे गर्दिशों में पनपे तो कुछ न होता दोस्त....कभी ये बात जाके अमावास के चाँद से पूछ लो....!!!______"
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शुक्रवार, 16 अक्टूबर 2015

Talentrix Online Contest


codesgesture.com & The Maestro Productions presents Talentrix - An online Contest to Explore your TALENT..!!

Photography ... Painting ... Dancing ... Singing ... or Any Talent you think YOU HAVE...!!
Record it ... Send it


Apart from Generic Talent Drawing, Singing, Photography, Dancing Talentrix other section includes Like

- Mimicry
- Bike Stunt
- Funniest Selfie
- Dubsmash
- Acting with Famous Dialogue...


So Why to wait Just PERFORM RECORD UPLOAD...!!
And Become THE TALENTRIX Season - I Winner



For More Detail - Competition Link 

रविवार, 10 मई 2015

Tu Yaad Aayi Happy Mother's Day - A Film By The Maestro Productions


Mother's Day ithink it should not be confined to a single day. This is magical nudge which everybody should feel round the clock...

You very well know what your MOM wants from you...As Person changed the Behavior changes But the MOM is Universal She can't change her demands are same...!! 

रविवार, 15 फ़रवरी 2015

Love - A Magical Sensation - An Experiment By Maestro Productions



What is Love..??


Everyone has its own answer.. What they feel..?? What they do..?? What they Want..??
How they make up their partner's mood when he/she get angry..??


We, the Maestro Team, ask this questions to public to know their actual views about LOVE..

The Half Coffee (Valentine's Day Special) - A Film by Maestro Productions


This Valentine's Day we're here with Sweet Emotional Short Film
A Story of Two Couples Rohan - Zoya..Half Coffee Justify its way that there is missing someone to take a other Magic Sip..!!
The Most Awaited Romantic Movie is under editing process...Thanks to Maestro Team for their dedication non stop Hardwork to provide you enough entertainment as well Flavored Brilliant Message...!!!
Rest You Watch the Movie...!!!

शुक्रवार, 9 जनवरी 2015

मंगलवार, 7 अक्टूबर 2014

Ehsaas : Kuch Toh Rehta Hai

Happy Teachers Day : A Film by Maestro Productions



टूटी पेंसिल....पुराने शार्पनर....कलर पेंसिल....चार लाइनर कॉपी....!!
नन्हें हाथो में अनगिनत सपने.....उनको पूरा करने के लिए तैयार एक शख्स पूरी तल्लीनता के साथ...!!!
जब पेंसिल पकड़ अक्षर लिखाते...उनके हाथ में वो नन्हें हाथ समा जाते...दिल में एक विश्वास रहता...गलत रास्तों पर कदम ना भटकने देंगे....

रोक लेंगे....
मार कर... पीट कर...दुलार कर...!!!
चाहे जैसे भी बस....उनके आँखों के सपनों को पहचानते...उन्हे ज़िंदगी के अनुभव बांटते....!!

उन्ही अनुभवों के बीज ऊपर आकार लेने लगते... और एक दिन उस पर मीठे फल लगते....पर तब तक वो शक्स शायद उनके फल चखने के लिए पास ना होता...!!!

____________
हॅप्पी टीचर डे....

- मिश्रा राहुल
(ब्लोगिस्ट एवं लेखक)

बुधवार, 30 जुलाई 2014

सूनी वादियाँ - Maestro Productions



सूनी वादियों से कोई पत्ता टूटा है,
वो अपना बिन बताए ही रूठा है।

लोरी सुनाने पर कैसे मान जाए,
वो बच्चा भी रात भर का भूखा है।

बिन पिए अब होश में रहता कहाँ,
वो साकी ऐसा मैखानो से रूठा है।

मुसाफ़िर बदलते रहे नक्शे अपने,
वो रास्ता भी आगे बीच से टूटा है।

रात फ़लक से शिकायत कौन करे,
कोने का तारा अकेले क्यू रूठा है।

©खामोशियाँ-२०१४/मिश्रा राहुल
(३०-जुलाई-२०१४)(डायरी के पन्नों से)

रविवार, 29 जून 2014

किक-गुड मॉर्निंग गोरखपुर



गुड मॉर्निंग गोरखपुर - राहुल के साथ

किक एक छोटा सा शब्द पर शब्द पर समेटे है जाने कितने मतलब.....!!!

आज मैं राहुल फिर हाजिर हूँ लेकर अपना पुराना कार्यक्रम "गुड मॉर्निंग गोरखपुर"

फूटबाल विश्वकप का बुखार अभी उतरा नहीं है कि ISI मार्क कि नरेंद्र मोदी सरकार ने रेल-यात्रियों को लगा दी है एक किक। वो भी ऐसी किक की गोलकीपर यात्री चार दिन से बेहोश है।

उधर सल्लू मियाँ की किक भी आज के सारे सेल्फ-स्टार्ट फिल्मों पर अकेले ही भारी पड़ रही। मुझे डर है कहीं वो अगली बार से अपनी फिल्मों के ट्रेलर पर भी टिकिट लगाने ना शुरू कर दें।

किक शब्द का ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी से मतलब निकाला जाए तो हकीकत से कोसो ही बैठता। किक शब्द का ज़िंदगी मे भी गहरा महत्व है जिसने कायदे से किक करना नहीं सीखा उसकी ज़िंदगी ही गोल हो गयी।

बच्चा पैदा होते ही पहली हरकत किक से करता। नेता लोग वादों की पोटली परिणाम के तुरंत बाद गंगा मे किक कर आते। नाम शोहरत लेने के बाद प्रीति जिंटा ने भी नेस को किक कर दिया। यूपी सरकार ने लैपटाप योजना बंद कर सैकणों फिल्मी कीड़ो को बड़ी बेरहमी से किक कर दिया।

इतने सारे किक एक्सपेर्ट होने के बावजूद जाने क्यूँ हमारा देश फूटबाल मे पीछे है। उसका एक कारण ये भी है कि बिना सुनियोजन और दिशाहीन किक कभी-कभी फूटबाल कि दिशा मोड़कर खुद के ही गोल मे चली जाती।

सोचिएगा ज़रा!!! किक या सेल्फ़स्टार्ट???

आप मोटरसाइकल कैसे स्टार्ट करते तब तक मैं राहुल मिश्रा आज्ञा लेता हूँ

गुड बाय!! हॅप्पी किक !!

अँड हॅप्पी वीकेंड!!!

- A Program by Maestro Productions

शनिवार, 21 जून 2014

आईआईटी बनाम आम-अमरूद क्षेत्र:


आजकल पेपर से लेकर टीवी वाले सब के सब आईआईटी, आईएएस की राग अलाप रहे।
चाहे वो गौरव अग्रवाल आईएएस टोपर हो या सार्थक अग्रवाल सीबीएसई टोपर।
अब ये मील के पत्थर बन गए।

हर घर मे इनके ही चर्चे। हर इलाके मे इनके ही गुणगान एक तू है एक फ़लनवा अग्रवाल।
बच्चा पैदा होता नहीं की उसको मिल जाता काम। हमारे दो बेटे है एक जो पाँच महीने का है वो डोक्टर बनेगा, बड़े वाले को सोच रहा इंजीनियर बना दूँ।

बेटा बड़ा हुआ पाँच साल का उसको डाल दिया कान्वेंट मे। अंग्रेजी माध्यम मे। वो भी इसलिए नहीं कि उन्हे अपने लाडले को बड़ी अच्छा शिक्षा देनी, ये तो बस इसलिए कि बगल वाले मल्होत्रा जी का लड़का शहर के नामी स्कूल मे पढ़ता। तो सोसाइटी मे पैठ जमाने के लिए डाल रहे।

बेटा और बड़ा हुआ हाइस्कूल मे पहुंचा। बस अब एक्टिवेट हो गए पड़ौसी/पट्टीदार/रिश्तेदार। क्या फलाने का लड़का हाइस्कूल मे अच्छा रिज़ल्ट आने दो। अब बंदे के यहाँ तो 2जी कनैक्शन और पूरा मोहल्ला उसका रिज़ल्ट देख चुका है सिवाय उसके। ये भी इसलिए की बेटा अगर बाहर आए घर से तो गलत ना बता निकाल जाए और तो और प्रिंट आउट सबकी जेब मे पड़ा रहता। चलो हाइस्कूल की बात कटी।

अब इंटर्मीडियट तो बंदे की लिए डुवल डिग्री कोर्स हो जाता। स्कूल भी जाना, बोर्ड की कोचिंग भी करनी, एंट्रैन्स की तैयारी की कोचिंग भी करनी। इन सब मे उसके पास ऑप्शन भी ना होते। करनी है तो करनी है बस बाकी मैं नहीं जानता।
- अबे नालायक!! सोसाइटी मे इज्ज़त बचवानी है बाप की...???
- तू चाहता क्या है!! तुझे बस पढ़ना ही तो है...???
- अब अगर आईआईटी/सीपीएमटी नहीं निकलेगा/निकलेगी तो क्या करेगी...???
(जैसे जब आईआईटी/सीपीएमटी नहीं थे तो लोग ज़िंदा नहीं रहते थे/ मानो ये ऑक्सिजन के बॉटल हो गए हो)

फिर भी जैसे तैसे डर के/ सहम के/ बिना मन के उसने किया भी दोनों। नतीजा उसके बोर्ड मे नंबर तो कम आए ही साथ एंट्रैन्स भी गया। अब डांट देखो कैसे मिलता-
- एक काम भी ढंग से तेरा होता नहीं।
- पूरा पैसा बर्बाद करा दिया, नहीं पढ़ना था तो बताया होता।
(बल्कि वो कई बार ना पढ़ने की या दूसरा काम करने की ईक्षा जारी कर चुका था।)
- अब बता क्या करेगा तू यहाँ तो हुआ नहीं।
(जैसे मानो पूरा संकट उसके जीवन मे आईआईटी/सीपीएमटी थी। एक ही लक्ष्य था उसका अब वो बेकार है।)
- देख ऐसा कर एक साल फिर तैयारी कर हो जायेगा तेरा और मैं पैसा दे रहा न।
(फिर वही गलती/ आखिर गार्जियन समझते नहीं या समझना नहीं चाहते। वो दूसरा काम करना चाह रहा।)

सारा टेंशन घर मे खुद पैदा कर जाते। केवल यही लोग थोड़े है जो आगे बढ्ने को प्रदर्शित करते।
बड़े शौक से लोग पिक्चर हाल पहुँचते उसमे शाहरुख/सलमान की एक्टिंग की तारीफ करते। बड़े बड़े नीलामी समारोह मे शिरकत कर मकबूल-फिदा-हुसैन की पेंटिंग बोली लगा खरीद लाते और उसे बाकायदा आगे के कमरे मे लगाते। कानो मे हैड-फोन फंसाए लोग अक्सर केके/श्रेया घोषाल के आवाज़ की चर्चा करते पाये जाते।

क्या इन लोगों ने भी आईआईटी/सीपीएमटी/आईएएस पास किया। या फिर क्या ये लोग किसी से किसी भी मामले मे कम है। संघर्ष तो हर क्षेत्र मे है पर इंसान को वो करने दो जिसमे उसका मन रमता।

भगवान ने सबको अलग-अलग बना कर भेजा है, फिर क्यूँ ना हम अलग अलग लड़े...???

- मिश्रा राहुल
(ब्लोगिस्ट एवं लेखक)


शनिवार, 7 जून 2014

ज़िंदगी जरूरी है



सुलझी ही रहती तो ज़िंदगी कैसे होती...
उलझी ही रहती तो बंदगी कैसे होती....!!! 


नाम हथेली मे छुपाए घूमते रहती...
बहकी ही रहती तो सादगी कैसे होती....!!!

चर्चे फैलते जा रहे हर-तरफ मुहल्लों मे...
हलकी ही रहती तो पेशगी कैसे होती....!!!

पसंद तो करते ही हैं तुझे सारे चेहरे....
चुटकी ही रहती तो बानगी कैसे होती...!!!


Poetry & Narration- Misra RaahuL..
Casts- Md. Israr (मोहम्मद इसरार)........VishaaL Mishra (विशाल मिश्रा)
Misra RaahuL (मिश्रा राहुल).........Vikash Shrivastava (विकाश श्रीवास्तव)

©खामोशियाँ-२०१४//मिश्रा राहुल

सोमवार, 2 जून 2014

हर रोज़ यहीं तो आता मैं...



Poetry & Narration :- Misra Raahul
Edited By :- Vishaal Mishra
Camera & Direction :- Misra Raahul & Vishaal Mishra 
Casts:- Misra Raahul & Vishaal Mishra

Poetry:-

एक सोच लिए..
एक ख्वाब लिए.... 
चेहरे पर अलग रुवाब लिए....!!! 
हर रोज़ यहीं तो आता मैं...!!!

ये बादल भी तो बढ़ते है....
फ़लक-सूरज से लड़ते है....!!!
ये रास्ते भी तो चलते है...
गलियों-चौराहो से जुडते है....!!!
उम्मीद लिए....
विश्वास लिए.....
होंठो मे अलग जवाब लिए....
हर रोज़ यहीं तो आता मैं...!!!

सपनों को जो बोते है
चट्टानों पर ही सोते है...
बेखौफ हो के जीते है....
विचलित कभी ना होते है...!!!
तरकीब लिए....
तहज़ीब लिए....
साँसों मे अलग रक़ीब लिए...
हर रोज़ यही तो आता मैं....!!!

बेबाक हो के जलते है,
मुकद्दर लेके चलते है।
बेरोक हो के पलते है,
सिकंदर लेके चलते है।
आगाज लिए...
अंजाम लिए....
लहू मे अलग सैलाब लिए....
हर रोज़ यही तो आता मैं....!!!

ज़िंदगी एक सफर है
कितने भी मील के पत्थर आए
हमे रुकना नहीं है......!!! रुकना नहीं है......!!! रुकना नहीं है......!!!

© Maestro Production Pvt. Ltd.
© खामोशियाँ २०१४