उलझी ही रहती तो बंदगी कैसे होती....!!!
नाम हथेली मे छुपाए घूमते रहती...
बहकी ही रहती तो सादगी कैसे होती....!!!
चर्चे फैलते जा रहे हर-तरफ मुहल्लों मे...
हलकी ही रहती तो पेशगी कैसे होती....!!!
पसंद तो करते ही हैं तुझे सारे चेहरे....
चुटकी ही रहती तो बानगी कैसे होती...!!!
Poetry & Narration- Misra RaahuL..
Casts- Md. Israr (मोहम्मद इसरार)........VishaaL Mishra (विशाल मिश्रा)
Misra RaahuL (मिश्रा राहुल).........Vikash Shrivastava (विकाश श्रीवास्तव)
©खामोशियाँ-२०१४//मिश्रा राहुल
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