बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखिया....!!!______ प्यासे गले में उतर आती....देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!______ पलके उचका के हम भी सोते हैं ए राहुल....पर ख्वाब हैं की उन पर अटकते ही नहीं....!!!______ आईने में आइना तलाशने चला था मैं देख....कैसे पहुचता मंजिल तो दूसरी कायनात में मिलती....!!! धुप में धुएं की धुधली महक को महसूस करते हुए....जाने कितने काएनात में छान के लौट चूका हूँ मैं....!!!______बर्बादी का जखीरा पाले बैठी हैं मेरी जिंदगी....अब और कितना बर्बाद कर पाएगा तू बता मौला....!!!______ सितारे गर्दिशों में पनपे तो कुछ न होता दोस्त....कभी ये बात जाके अमावास के चाँद से पूछ लो....!!!______"

सोमवार, 2 जून 2014

हर रोज़ यहीं तो आता मैं...



Poetry & Narration :- Misra Raahul
Edited By :- Vishaal Mishra
Camera & Direction :- Misra Raahul & Vishaal Mishra 
Casts:- Misra Raahul & Vishaal Mishra

Poetry:-

एक सोच लिए..
एक ख्वाब लिए.... 
चेहरे पर अलग रुवाब लिए....!!! 
हर रोज़ यहीं तो आता मैं...!!!

ये बादल भी तो बढ़ते है....
फ़लक-सूरज से लड़ते है....!!!
ये रास्ते भी तो चलते है...
गलियों-चौराहो से जुडते है....!!!
उम्मीद लिए....
विश्वास लिए.....
होंठो मे अलग जवाब लिए....
हर रोज़ यहीं तो आता मैं...!!!

सपनों को जो बोते है
चट्टानों पर ही सोते है...
बेखौफ हो के जीते है....
विचलित कभी ना होते है...!!!
तरकीब लिए....
तहज़ीब लिए....
साँसों मे अलग रक़ीब लिए...
हर रोज़ यही तो आता मैं....!!!

बेबाक हो के जलते है,
मुकद्दर लेके चलते है।
बेरोक हो के पलते है,
सिकंदर लेके चलते है।
आगाज लिए...
अंजाम लिए....
लहू मे अलग सैलाब लिए....
हर रोज़ यही तो आता मैं....!!!

ज़िंदगी एक सफर है
कितने भी मील के पत्थर आए
हमे रुकना नहीं है......!!! रुकना नहीं है......!!! रुकना नहीं है......!!!

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© खामोशियाँ २०१४

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