रूठे ही रहे जब तक वो मनाने आए,
लोग बंजरों मे गुलों को बुलाने आए।
चैन अभी फंसी साँसों की लॉकेट मे,
आज जवाबो मे दिलो को लुभाने आए।
कौन रखेगा सारे सबूत जन्नत के,
देख ख्वाबो मे रीलों को सुलाने आए।
इन तपती दुपहरी मे अब आते कहाँ,
लोग छालों से मीलो को मिलाने आए।
© खामोशियाँ-२०१४/
मिश्रा राहुल (२७-जून-२०१४)
आपकी लिखी रचना शनिवार 28 जून 2014 को लिंक की जाएगी...............
जवाब देंहटाएंhttp://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
bahut khoob kaha aapne
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