बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखिया....!!!______ प्यासे गले में उतर आती....देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!______ पलके उचका के हम भी सोते हैं ए राहुल....पर ख्वाब हैं की उन पर अटकते ही नहीं....!!!______ आईने में आइना तलाशने चला था मैं देख....कैसे पहुचता मंजिल तो दूसरी कायनात में मिलती....!!! धुप में धुएं की धुधली महक को महसूस करते हुए....जाने कितने काएनात में छान के लौट चूका हूँ मैं....!!!______बर्बादी का जखीरा पाले बैठी हैं मेरी जिंदगी....अब और कितना बर्बाद कर पाएगा तू बता मौला....!!!______ सितारे गर्दिशों में पनपे तो कुछ न होता दोस्त....कभी ये बात जाके अमावास के चाँद से पूछ लो....!!!______"
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शनिवार, 1 जून 2013

एहसास


करना हो एहसास इज़हार करके देखो...
बढ़ी हो प्यास प्यार करके देखो...!!

कितने पागल हैं लोग इस प्यार मे...
यकीन न हो चश्मा उतार के देखो...!!

कुछ दूरी पे मिल जाते सारे साये...
अधजली रूहों पर कपड़े चढ़ाके देखो...!!

हमारे साथ बैठती चादनी रात भर...
कभी फ़लक के चादर झाड़के देखो...!!

©खामोशियाँ

मंगलवार, 2 अप्रैल 2013

गमो का जन्मदिन...


एक खाली
पड़े मकान से
जाने कितनी बार बात हुई...

कई रात
दोनों साथ काटें
सिरहाने तक लगवाए साथ...

रात मे
दियासलाई मार के
कितने अँधेरों को भगाए साथ...

देख आगन
पर कैसे टॉर्च
मार दोनों की तलाशी ले रहा अब्र...

बयार भी
दरवाजे पर कुंडी
पकड़ झूलती नजर आ रही...

सम्मे चिपके
कान लगाए चाह
रहे सुनना हम लोगों की फूस-फूस...

अब खोल
भी दे देख दरीचों
तलक आ पहुचे जुगनू रोते रोते...

देख अब
कहा तू अकेला
सब तो हैं चल आज माना ही ले...

... गमो का जन्मदिन...

~खामोशियाँ©

मंगलवार, 12 मार्च 2013

मालपूवा...!!!



रात नीली चासनी
उबाल रही ... !!!

झील के कड़ाहे मे
पूनम के चाँद ने
मुँह लभेड रखा ... !!!

अब मिठास
लिए घूम रहा...!!!

चखाने सबको
मालपुए का जायका...!!!

एक शक्स खोंखले
बांस से निहार रहा...!!!

बस चकोर होगा...
जा ले के आ
मुँह मीठा करा दे...!!

सोमवार, 11 मार्च 2013

रात...!!!


आज आसमान की ओर देख रहा था तो कुछ सोचा की बनाऊ तस्वीर... लेकिन रेखाओ से नहीं शब्दो से तस्वीर अटपटा लग रहा सुनने मे...!!

दूर खड़े सितारे पास बुला ले...
रात हो चली चिराग जला ले...!!!

एक उदास पुर्जा छू रहा दामन...
अंधेरा हैं घना अंदर सुला ले...!!!

झील नहाने गई बड़ी दूर लगता...
रूठी हुई चाँदनी तू मना ले...!!!

आसमान बड़ा रो रहा इनके बगैर...
वो काला कोट भी यही बिछा ले...!!

बुधवार, 6 मार्च 2013

काढ़े रुमाल...


कितनों की खिदमत का ख्याल कर रखे हैं...
हम अपनी दराज मे काढ़े रूमाल रख रखे हैं...!!

सदियों से जमती जा रही टोटियों जैसे...
अपनी हाथो से खुद जीना मुहाल कर रखे हैं...!!

रात के आते निकाल जाते स्वान बाहर...
घर के रखवाले ही अब बवाल कर रखे हैं...!!!

सोती चाँदनी को जगाने खातिर देख...
झिंगुर भी अपनी आवाज़े निहाल कर रखे हैं...!!!

शनिवार, 2 मार्च 2013

ख्वाइश...


धूप के साये मे निशान कहाँ आते... 

टूटी शाख पे अब इंसान कहाँ आते...॥ 

ख्वाब अधूरे ना छूटते बशर के...
रातों को जगाने अब हैवान कहाँ आते...॥ 

जुबान छिल जाती गज़लों की महफ़िलों मे...
जुम्मे की दुपहरी पे अब अजान कहाँ आते...॥

दुवाओ के थूकदान सजाते दरवाजे पर...
इस सुनसान मे अब मेहमान कहाँ आते...॥

ख्वाइशों की कतार लगाए खड़े हम...
मीरा के शहर मे अब घनश्याम कहाँ आते...॥

शुक्रवार, 1 मार्च 2013

रातों के मुसाफिर


रातों के मुसाफिर की बात जँचने लगी...
पतवार पे बल्ब की बालियाँ जलने लगी...॥

डूब जाएंगे पलट सभी खारे मे...
टूटे परों से कस्तियाँ लदने लगी...॥

लहरों ने घेर रखा था पूरी नाव...
तभी तो पागल जलपरियाँ ऊघने लगी...॥

कोई जला दे पीला टॉर्च पहाड़ तलक...
जुगनुओ की गर्मियाँ अब थमने लगी...॥

शनिवार, 23 फ़रवरी 2013

रात रानी...!!


चाँद के यहाँ दावत...
खाने पहुचना हैं...!!

तैयार हैं सभी..
जीन्स टी-शर्ट में..!!

टांक दो फलक पर...
कुछ चमकीले बटन...!!

निशा को सेंट लगाने..
पूरी शीशी लिए आई...!!
रात रानी...!!

अरे सभी गले मिल लो...
कल वो मर जाएगी..!!

सोमवार, 28 जनवरी 2013

रात सोना भूल गयी...!!!


रात सोना भूल गयी...!!!

कहा सुनी हो गयी फलक पर..
सब चले गए मुह फुलाए हुए...!!

तारे कम ही लिपटे थे देख..
अब्र मफलर बांधे चल दिए...!!

क्या माजरा था जान न पाया...
चाँद भी लाइट बुझा सो गया...!!

बड़ी देर से आँखे झुकाये...
पड़ा रहा टूटी खाटोले पे...!!

पर इसी कसमकस में देख..
आज रात ही सोना भूल गयी...!!

बुधवार, 9 जनवरी 2013

रात हो गयी..!!!


लो चढ़ गयी निशा तम पर...

और आधी रात हो गयी..!!
लोग होंगे अपने आधे सपनो में
तभी सारी बात हो गयी..!!

गवाह नहीं ढूंढ पाया मैं..
जब यह वारदात हो गयी..!!
सुनी हैं हमारी चीखे टपकती बूंदों ने..
बस जुबान ख़ामोश हो गयी...!!


शायद आधी रात हो गयी...गिना हैं समय का आइना इन टिक टिक ने

लगता खराब समय था वो ए राहुल ..
जब तेरे साथ ये वारदात हो गयी ..!!
बुझ गए सहरों के जलते सम्मे..
परवानो के राखो की बरसात हो गयी...!!

शायद आधी रात हो गयी...लाख बातें सीने से लगाए बैठी ये 9 की रात

कुछ पूछो तो बताये की..
उस से ठिठुरती ठंडक में क्या बात हो गयी..!!
बस इतना दिख रहा था झरोखे से..
चाँद की भी नौकरी समाप्त हो गयी..!!
चढ़ गयी चादर फलक पर 
और काली रात हो गयी...!!!

सोमवार, 1 अक्टूबर 2012

एक अजीब रात...!!!


आज यह रात भी आ गयी ... !!!

जैसे हो किसी घने बगीचे के...

पेडो कि ओट लिए छुपते छुपते...!!!

लगता हैं बादल की जेब से..

चाँद की चमकती अठन्नी चुराई हैं..!!!

वही फटी पुरानी काली शाल लपेटे...

चल पड़ी हैं मेले में गुम होने को...!!!

अब यह सन्नाटे इसकी...

आखों में धूल जैसे चुभ रहे...!!!

कोई बुला तो दे उन झीगुरों के..
टोलियों को कहा गायब हो गए...!!

सोमवार, 24 सितंबर 2012

पूनम की रात...!!!


आज बैठा एक झील पर शाम हुए कुछ सोच रहा था...लोग अनर्गल कहते जिसे...पास था कुछ पर्चे के टुकड़े पर...एक पुरानी नीब की पेन से...छिडक छिड़क के लिखा हूँ...कुछ...!!!
इस अधेरे में भी वो....
सिसकियाँ मौजूद रहती हवाओं में...!!!

जो धुएं से लिपटे चाँद में नहाती...
हुई बह जाती हैं किसी झील में...!!!

आहट भी लहरों में...
धमनियों जैसी फडकती रहती...!!!

कोई आला थामे आये और...
नाप जाए उनको एक लिखावट में...!!!

उस पर जलकुंभी ओढ़े...
बैठी सुबह झाकती चाँद को...!!!

अपने दर्द को बयान करने खातिर..
टकराकर लौटती बार बार...!!!

पर रोक रखती अपने जेहन में
दाबे जख्मों को ताकि निहार ले..
इस पूनम की रात को फिर आये न आये...!!!

गुरुवार, 20 सितंबर 2012

जिंदगी...!!!


बिन चिरागों में बैठी अमावसी रात जैसी,
दुनिया भी एक दुल्हन हैं सताई हुई...!!!

एक जेठ की तपतपाती धुप जैसी,
मेरे मजार परके फूल सी मुरझाई हुई...!!!
उन किरणों की तबस्सुम को लपेटे,
हंसी होंठों पे लाके दबाई हुई...!!!
हर मुखड़ों को ये किताबी झलकती,
कितना किताब्खानो में भरमाई हुई...!!!

मंगलवार, 28 अगस्त 2012

किताबों के गुल


कभी अपने 
दिन भी हुआ करते थे...
बातों से 

रातें सजोया करते थे...

अब थो 

करवटे बेगैरत हो गयी...

वरना हम भी कभी
किताबों में 

गुल छुपाया करते थे...!!!