आज आसमान की ओर देख रहा था तो कुछ सोचा की बनाऊ तस्वीर... लेकिन रेखाओ से नहीं शब्दो से तस्वीर अटपटा लग रहा सुनने मे...!!
दूर खड़े सितारे पास बुला ले...
रात हो चली चिराग जला ले...!!!
एक उदास पुर्जा छू रहा दामन...
अंधेरा हैं घना अंदर सुला ले...!!!
झील नहाने गई बड़ी दूर लगता...
रूठी हुई चाँदनी तू मना ले...!!!
आसमान बड़ा रो रहा इनके बगैर...
वो काला कोट भी यही बिछा ले...!!
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