ख्वाब परिंदा ठहरा...
बड़ी आराम से...!!!
उड़ रहा ख्वाइशों के
नीले बैक्ग्राउण्ड मे...!!!
अचानक टकरा गया...
टूट गए पर उसके...!!!
छन्न से बिखर गयी...
मानो सारी कायनात...!!
ओह रूई के गोले...
रंगीन बनते जा रहे...!!!
सूरज पीला मरहम लिए
चाँद ढूढ़िया टॉर्च थामे...!!!
सभी आए हॉस्पिटल मे...
पर कमी हैं किसी की...!!!
मुकद्दर की गाड़ी पंचर हैं...
उसे कोई बुला लाओ...!!!
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