बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखिया....!!!______ प्यासे गले में उतर आती....देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!______ पलके उचका के हम भी सोते हैं ए राहुल....पर ख्वाब हैं की उन पर अटकते ही नहीं....!!!______ आईने में आइना तलाशने चला था मैं देख....कैसे पहुचता मंजिल तो दूसरी कायनात में मिलती....!!! धुप में धुएं की धुधली महक को महसूस करते हुए....जाने कितने काएनात में छान के लौट चूका हूँ मैं....!!!______बर्बादी का जखीरा पाले बैठी हैं मेरी जिंदगी....अब और कितना बर्बाद कर पाएगा तू बता मौला....!!!______ सितारे गर्दिशों में पनपे तो कुछ न होता दोस्त....कभी ये बात जाके अमावास के चाँद से पूछ लो....!!!______"
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बुधवार, 2 जनवरी 2013

अमावसी जिंदगी



करोड़ों कि बद्दुवायें थामे चलती हैं जिंदगी...
इन्ही अमावसी रात में बदल जाती हैं सादगी...!!

कोई कह दो तो धुधिया लालटेन वाले चाचा से...
कभी तोड़ तो मेरे खातिर भी कोई सितारों की लडी..!!

वक्त थककर बैठ गया किसी चौराहे पे...
उसी के इन्तेजार में जले जा रही यादों की फुलझड़ी...!!

बुधवार, 28 नवंबर 2012

मरहम का वो इन्हेलर...!!!

दिल के दहलीज पर देख तो सही...
हर वक्त ही कोहरा जमा रहता...!!!

कितने यादों के छींके आ जाते जिन्हें...
बहानो के रुमाल से पोछ जाया करते...!!!

कभी कभी तो जाम कर जाते हर वो...
रास्ते दर्द के अब कहा से ला दे...

!!!...मरहम का वो इन्हेलर...!!!

सोमवार, 8 अक्टूबर 2012

रात की थाल


अभी खाना खाने बैठा था की लाइट चली गई जो की उत्तर प्रदेश की आम बात हैं .. अब शायद इस धुधिया रौशनी में मैं खा कम और सोच ज्यादा रहा था...कुछ अजीब किसे लिखने पर शायद कुछ रचना का निर्माण हो जाए ... तो बात दे आखिर सोचा क्या हमने ...!!!
वक्त के चौके पर निशा .... कैसे बेल रही रोटी ... !!!!!
फुलाने को दबाये की धुधिया रौशनी थामे...
चमक गयी काली तवे पर .... !!!
बादलों में गुम होती जाती जैसे ...
एक नन्हा बच्चा
रात और दिन ...दिन और रात खेल रहा हो ... !!!
थाल भी सज गयी हो ... !!!
पर अचानक देखो ...उलट गयी थाली ....
चावल के दानो तरह सितारे छींटा गए पूरे फलक पर ... !!!