बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखिया....!!!______ प्यासे गले में उतर आती....देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!______ पलके उचका के हम भी सोते हैं ए राहुल....पर ख्वाब हैं की उन पर अटकते ही नहीं....!!!______ आईने में आइना तलाशने चला था मैं देख....कैसे पहुचता मंजिल तो दूसरी कायनात में मिलती....!!! धुप में धुएं की धुधली महक को महसूस करते हुए....जाने कितने काएनात में छान के लौट चूका हूँ मैं....!!!______बर्बादी का जखीरा पाले बैठी हैं मेरी जिंदगी....अब और कितना बर्बाद कर पाएगा तू बता मौला....!!!______ सितारे गर्दिशों में पनपे तो कुछ न होता दोस्त....कभी ये बात जाके अमावास के चाँद से पूछ लो....!!!______"
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मंगलवार, 9 अप्रैल 2013

घायल जुगनू


रातों मे दर्द की कहानी सुनाते गए...
देखे बिना ही लोगों को रुलाते गए...!!!

एक जुगनू चोट खाये गिरा आगन मे
अंजुरियों मे मरहम लपेटे लगाते गए...!!!

कुछ ही सांस चल रही थी उसकी अब
उसे भी लोग फूँक फूँक के बुझाते गए...!!!

कितने दरवाजे खटखटाया दुवाओ खातिर
जुल्मी लोग कुंडी पर कुंडी चढ़ाते गए...!!!

~खामोशियाँ©

सोमवार, 1 अप्रैल 2013

किस्मती ताला...


अब हाथ दर्द
हो
चुके है..!!

किस्मती तालो
की
लटके लटके..!!

चाभी गुम
कर दी
मुकद्दर ने..!!

बता दे अब
और
झूठा दिलासा ना दे..!!

~खामोशियाँ©

रविवार, 31 मार्च 2013

पता पूछती जिंदगी



जिंदगी मजिल का पता
पूछते बीत गयी...!!!

हर सुबह रोज निकलती
घर से ओढ ढांप के,
चौराहे पहुचते किसी
पनवडिये को देख गयी...!!!

चार तनहाइयों बाद
एक हलकी सी तबस्सुम,
ऐसी ही आवाज
मेरे कान को गूंज गयी...!!!

हमने भी देख लिया
खांचो में बसे अपने दर्द को,
बस एक बयार पुर्जा थामे
कई आसियाने लांघ गयी...!!!

इस बीच क्या हुआ
किसको बतालाये आलम,
जल्दी-जल्दी में देख
बिना चाय पीये निकल गयी...!!!

लौटकर हमने मेज पर
देखा तो पाया,
जाते जाते वो अपनी
यादें ही भूल गयी...!!!

हिम्मत नहीं कि 
उड़ेल दे पिटारे उसके,
यूँ साँसे चौपत के 
उसे बक्से में तह गयी...!!!

~खामोशियाँ©

शुक्रवार, 29 मार्च 2013

आइस-ट्रे...!!!


अभी निकाल लाया...
आइस-ट्रे....
कितने जुडवे बच्चे...
हमशक्ल...!!

पहचान कर पाना
मुश्किल...
हाथ पाँव बटोरे बैठे
सभी...!!

जाने कौन सा दर्द
पाले...
चिलम फूँक रहे
देख...!!!

चंद लम्हो की
जिंदगी...
कल फिर जनमेंगे
दुबारा...!!!

नयी आइस-ट्रे की कोख
मे...
फिर कौन याद रखेगा
तुझे...!!

~खामोशियाँ©

शनिवार, 5 जनवरी 2013

आकृतियाँ...!!!


देख रहा हैं कितने दर्द से उसे ..
धुधली आकृतियों में खोया हैं क्या ..!!

चेहरा भीगा हैं तेरा अभी तक ..
छुप के तू अभी अभी रोया हैं क्या ..!!

चेहरे पर ख्वाब साफ़ लदे उभर रहे ..
उठकर भी अभी तक सोया हैं क्या ..!!

निकल आये मुसीबतों के पौधे बगीचे में ..
फिर से तूने उधर कुछ बोया हैं क्या ..!!

मातमो में लखते तेरे यादों के दरीचे ..
पुरानी बस्ती ने आज कुछ खोया हैं क्या ..!!

बुधवार, 28 नवंबर 2012

मरहम का वो इन्हेलर...!!!

दिल के दहलीज पर देख तो सही...
हर वक्त ही कोहरा जमा रहता...!!!

कितने यादों के छींके आ जाते जिन्हें...
बहानो के रुमाल से पोछ जाया करते...!!!

कभी कभी तो जाम कर जाते हर वो...
रास्ते दर्द के अब कहा से ला दे...

!!!...मरहम का वो इन्हेलर...!!!

गुरुवार, 18 अक्टूबर 2012

मेडिकल स्टोर....!!!

मैं खड़ा था एक मेडिकल स्टोर पर कुछ देखा ... !!!
काफी भींड भाड़ सी थी ... कोलाहल रंग बिरंगी... गोलियाँ ... कैप्सूल ... टैबलेट खरीदते लोग ... !!!
उफ़ कितनी सांसत में जीते ... जीवन का मैखाना भी अजब हैं ... साकी तैयार हैं पर पैमाना ही नहीं हैं... !!!
एक पीले पुरानी पर्ची थामे...
कुछ गोंजा गया हैं उसमे ... !!!

अजीब लिखावट थी कोई ...
जैसा दर्द वैसी ही लिखावट भी ... !!!

कोई पढ़ाना चाहे तो भी पढ़ा
ना सके किसी को वो बेरुखी ... !!!

पर एक आदमी कोशिश कर रहां ...
हाँ यह हैं ऊपर के दूसरे बर्जे पर ... !!!

सामने चमकीले पत्ते में लिपटी ...
रख दिया हरी नीले पीले गोलियाँ ... !!!

कुछ भूल आया मैं शायद वहीँ पर ...
हाँ हाँ पर्ची पर अब देर हो चुकी हैं .... !!!

कोई उठा ले गया जैसे पर खैर ...
उसे भी वही दिक्कत होगी लगता हैं ... !!!

सोमवार, 24 सितंबर 2012

पूनम की रात...!!!


आज बैठा एक झील पर शाम हुए कुछ सोच रहा था...लोग अनर्गल कहते जिसे...पास था कुछ पर्चे के टुकड़े पर...एक पुरानी नीब की पेन से...छिडक छिड़क के लिखा हूँ...कुछ...!!!
इस अधेरे में भी वो....
सिसकियाँ मौजूद रहती हवाओं में...!!!

जो धुएं से लिपटे चाँद में नहाती...
हुई बह जाती हैं किसी झील में...!!!

आहट भी लहरों में...
धमनियों जैसी फडकती रहती...!!!

कोई आला थामे आये और...
नाप जाए उनको एक लिखावट में...!!!

उस पर जलकुंभी ओढ़े...
बैठी सुबह झाकती चाँद को...!!!

अपने दर्द को बयान करने खातिर..
टकराकर लौटती बार बार...!!!

पर रोक रखती अपने जेहन में
दाबे जख्मों को ताकि निहार ले..
इस पूनम की रात को फिर आये न आये...!!!

मंगलवार, 18 सितंबर 2012

प्यार का गुल...!!!


गुल सम्हाले रखे हैं बस इन्तेजार हैं उनका,
पलके बिछाए बैठे हैं बस ऐतबार हैं उनका...!!!


हर पल साख से टूटते पत्ते बिखरते धरा पर,
कि दर्द नहीं वो तो बस प्यार हैं उनका...!!!


एक अर्शे से सुनने को तरस गयी जो..
आज चौखट पर खनकता झंकार हैं उनका...!!!


बस यही जिद्द चिपक कर बैठ गयी सांझ,
कि झील में उतरा हुआ ये चाँद है उनका...!!!


हर ज़र्रे में फिसलती हैं प्यास रूह की,
बस आये तो सही कुवां पास हैं उनका...!!! 

सोमवार, 27 अगस्त 2012

झील में नहाता चाँद



दिल भीगा नहीं कि अंगारे बरस गए...
ख्वाब जला नहीं कि खालिश झुलस गए...!!!

बड़ी दर्द थी बादल की ककाराहट में देख...
आंसू भी उसके दामन से सरक गए ...!!!

सूखा गया सब कैसे भी लोग संभल गए,
लूह चली इन वादियों के बौर झुलस गए...!!!

कुछ की छतरी निकली गयी इन आलमों में,
शायाद वे ही बच के कहीं बस गए...!!!

ना रहा उसकी गोद में थोडा भी पानी,
तभी यहाँ लोग कतरा कतरा को तरश गए...!!!

कब से खोज रही धरा तुझे ए चाँद..
पर तुम पहले ही किसी झील तलक उतर गए...!!!