बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखिया....!!!______ प्यासे गले में उतर आती....देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!______ पलके उचका के हम भी सोते हैं ए राहुल....पर ख्वाब हैं की उन पर अटकते ही नहीं....!!!______ आईने में आइना तलाशने चला था मैं देख....कैसे पहुचता मंजिल तो दूसरी कायनात में मिलती....!!! धुप में धुएं की धुधली महक को महसूस करते हुए....जाने कितने काएनात में छान के लौट चूका हूँ मैं....!!!______बर्बादी का जखीरा पाले बैठी हैं मेरी जिंदगी....अब और कितना बर्बाद कर पाएगा तू बता मौला....!!!______ सितारे गर्दिशों में पनपे तो कुछ न होता दोस्त....कभी ये बात जाके अमावास के चाँद से पूछ लो....!!!______"
आँख लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
आँख लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

रविवार, 5 जनवरी 2014

अनसुलझी पहेली



पथरीली रास्तों पर की कहानी और है..

सिसकती आँखों में नमकीन पानी और है..!!

टूटा तारा गिरा है देख किसी देश में..
खोज जारी है पर उसकी मेहरबानी और है..!!

आग बुझ गयी मेरे ख्यालों को राख करके..
उड़ती हवाओं में उसकी रवानी और है..!!

कैसे कैसे बाजारों में आ गए देख..
उमड़ती बोलियों में उसकी बेजुवानी और है..!!

किस "आकृति" को बनाने बैठ गया है तू..
तेरी कूंची से लिपटी उसकी परेशानी और है..!!

बड़ा दिन से मानता हूँ तुझे ए मौला..
गुस्सा है तू और उसपर तेरी मनमानी और है..!!

©खामोशियाँ-२०१४  

शुक्रवार, 12 अप्रैल 2013

आज कुछ उखड़ी उखड़ी हैं वो...


आज कुछ उखड़ी उखड़ी हैं वो...

न आँखों मे ख्वाब कोई...
न ख्वाबों मे रुवाब कोई ...!!

न प्यार मे कशिश कोई...
न कशिश मे बंदिश कोई...!!

न नज़्म मे साज कोई...
न साज मे आवाज कोई...!!

न मौसम की मदहोसी कोई...
न मदहोसी मे बेहोसी कोई...!!

आज कुछ उखड़ी उखड़ी हैं वो....

~खामोशियाँ©

रविवार, 31 मार्च 2013

जिंदगी:एक भंवर....लेख...!!!



कभी कभी हम अपने अनुभवों के संसार में केवल एक अकेले नाविक भाति हवाओं से लड़ते रहते हैं...उस भ्रम रुपी संसार के क्रिया कलापों के रचनाकार हम स्वंय ही होते हैं...!!!

हम लाख मन्नते कर ले किसी अन्य को अपने उस संसार की ऊष्मा में जलाने में पर हम उन्हें
 उससे परिचित नहीं करा सकते....उसके दुःख, पीड़ा, ख़ुशी, भावनाएं केवल अपने दायरे तक ही नियत रहती हैं ...हमारे अपने लिए होती हैं वो अजब दुनिया... दूसरों के लिए वह एक विचित्र अलग संसार जैसा हैं...वह उसके बारे में जान सकता है, पढ़ सकता है, सुन सकता है... परन्तु उसे महसूस कतई नहीं कर सकता...!!

ठीक ये बात उसी तरह होती जैसे हम छोटे थे ... हमारे बाबूजी बताते थे की हम लाखो मंदाकिनियों में विलीन हैं और उनमे से सिर्फ एक मन्दाकिनी में हम रहते .... और सूरज चाँद धरती आकाश आग पानी...सब सब इस परिवेश तलक ही हैं..दूसरी दुनिया में कुछ भी नहीं ...सिर्फ धुंध से धुधली तस्वीरे हैं ...जो दिखती नहीं इन नाजुक आँखों से..!!!

आज पता चला शायद वो सही थे...!!

~खामोशियाँ©

मंगलवार, 19 मार्च 2013

बादलों की एक्स-रे...!!!


झील मे झांक
कर...
मांघे सुलझा रहा...!!

बादलों की एक्स-रे
पर...
कैसे उतार रहा...!!

दिन तपती दुपहरी
से...
चेहरा बिगाड़ रहा...!!

गोरे होने खातिर
कितने...
क्रीम लगा रहा...!!!

निशा की सूरमा
चुराये...
आंखे पोत रहा...!!!

~खामोशियाँ©

गुरुवार, 28 फ़रवरी 2013

मौसम


निकल गए रास्तों मे तो बहक हम जाएंगे...
बदली हैं अभी शाम तक सितारे छा जाएंगे...!!!

कब से मुह बाए खड़ी सींप दरींचो पर..
बचाओ उन्हे या कौड़ियाल शुक्र मनाएंगे...!!!

बड़ी तेजी से खींचती धूप नयी कोपले...
पकड़ ले वरना लोग दिन मे ही खो जाएंगे...!!!

महफ़िलों मे जरा आंखो पे सजा लेना...
बर्जे पर दो-चार आँसू छोड़ जाएंगे...!!!

बड़ी उदास मन से हर रोज पूछते मेंढक...
आखिर बरसातों के मौसम कब तक आएंगे...!!

गुरुवार, 21 फ़रवरी 2013

अकेली सांझ...!!!

हर सांझ की तन्हाई जाने कितने सवाल अपने अन्दर बसाए रहती....थोड़ी दूर चलते हम...और शायद गली ही रूठ जाती हमसे...रास्ते ही ना होते आगे के...!!!
बड़ी अकेली बैठी शाम का दस्तूर हो गया ,
नजरें थी पास पर वो दिल से दूर हो गया .. !!

किसी चाह्दिवारी में सजे झूमरो जैसे,
वो चाँद भी हमारी पहुच से दूर हो गया .. !!

कितने ग़ज़ल दबे उन पीले किताबों में,
गुनाह किया कितने और वो बेकसूर हो गया .. !!

तनहाइयों ने छेड़ दी वो कशिश ज़िन्दगी में ,
मोहरा आएने में झाकने को मजबूर हो गया .. !!

एक अजब सी सवाल आँख मिजाते पूछती सुबह,
तेरा यार जो पास था वो कैसे दूर हो गया .. !!

सोमवार, 28 जनवरी 2013

रात सोना भूल गयी...!!!


रात सोना भूल गयी...!!!

कहा सुनी हो गयी फलक पर..
सब चले गए मुह फुलाए हुए...!!

तारे कम ही लिपटे थे देख..
अब्र मफलर बांधे चल दिए...!!

क्या माजरा था जान न पाया...
चाँद भी लाइट बुझा सो गया...!!

बड़ी देर से आँखे झुकाये...
पड़ा रहा टूटी खाटोले पे...!!

पर इसी कसमकस में देख..
आज रात ही सोना भूल गयी...!!

रविवार, 13 जनवरी 2013

ख्वाब...!!!


आँख लगी थी अभी अभी अचानक..
पुतली की बीचो बीच फंसी रह गयी .. !!
कुछ खाली जगह में तह कर के..
भर गए ख्वाबों की जगमगाहट से .. !!
सन गयी चादर अब रोक न सकता ..
देख सूज तेरी गयी आँख फिर .. !!
उप्पर तक पहुच गए तेरे सपने ..
अब उठ जा तू कल देखना बाकी .. !!

गुरुवार, 30 अगस्त 2012

कुछ अनछुए पहलु...!!!


एक याद तस्वीरों से लिपटी हैं...कोई पढ़ सके थो पढ़ ले...वरना मौला भी दुखों के पैमाने...सबके अलग ही अलग बनाता..दूसरा कोई किसी और के जाम नहीं निगल सकता ..."

हमने भी रख ली हैं अपनी पलकों
पर तेरी भीगे हुई ग़मगीन आँखें...!!!

जैसे गिरजे में छाई खामोसी,
और रहलो पर बैठी महीन बाहें... !!!

एक आंसू गिरा दो दृगों से दर्जे पर,
कौन पहचाने किसकी नमकीन आहें...!!!

कैसे पुकारेगा पत्थर से लिपटा वो,
जिनकी यादों से भी संगीन थी बातें....!!!"

सपेरा


प्यार किससे करे...
अब कोई आँखों को जंचता नहीं...!!!
दिल छुपाते कहीं...
पर यादों से वो भी बचता नहीं...!!!

जाने कितनी दूर तलक...
चले आये हम सदमा झेलते...!!!
कांच से कंकड़ बने हम...
अब कोई फर्क पड़ता नहीं..!!!

बिन बादल गिरे ही...
हम झुलस गए देख...!!!
यूँ कोई आँचल तले..
बिजलियाँ तो रखता नहीं...!!!

कैसी अजब सी खामोसी...
रहती शब् की फिजाओं में...!!!
शायद हवा भी उनके...
बातो में अब बहकता नहीं...!!!

उस सर्प-जोड़ो का जाने...
क्या हुआ कौन पूछे...!!!
अब्ब थो सपेरा भी..
अपना पिटारा खोलता नहीं..!!!