पथरीली रास्तों पर की कहानी और है..
सिसकती आँखों में नमकीन पानी और है..!!
टूटा तारा गिरा है देख किसी देश में..
खोज जारी है पर उसकी मेहरबानी और है..!!
आग बुझ गयी मेरे ख्यालों को राख करके..
उड़ती हवाओं में उसकी रवानी और है..!!
कैसे कैसे बाजारों में आ गए देख..
उमड़ती बोलियों में उसकी बेजुवानी और है..!!
किस "आकृति" को बनाने बैठ गया है तू..
तेरी कूंची से लिपटी उसकी परेशानी और है..!!
बड़ा दिन से मानता हूँ तुझे ए मौला..
गुस्सा है तू और उसपर तेरी मनमानी और है..!!
©खामोशियाँ-२०१४