निकल गए रास्तों मे तो बहक हम जाएंगे...
बदली हैं अभी शाम तक सितारे छा जाएंगे...!!!
कब से मुह बाए खड़ी सींप दरींचो पर..
बचाओ उन्हे या कौड़ियाल शुक्र मनाएंगे...!!!
बड़ी तेजी से खींचती धूप नयी कोपले...
पकड़ ले वरना लोग दिन मे ही खो जाएंगे...!!!
महफ़िलों मे जरा आंखो पे सजा लेना...
बर्जे पर दो-चार आँसू छोड़ जाएंगे...!!!
बड़ी उदास मन से हर रोज पूछते मेंढक...
आखिर बरसातों के मौसम कब तक आएंगे...!!
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