बस चलता जाता एक सीधा सा रास्ता है..
बड़ी दूर किनारों पर कोई अपना बसता है..!!
गुल थामे अक्सर पहुँचते हैं जुगनू वहां..
शाम को सूरज वहाँ भी जल्दी डूबता है..!!
लालटेन फूँक रहती सारे तेल बाहर देख..
लिफाफे खोले बिना ही पूरी नज्मे पढता है..!!
बड़ी दर्द भरी रहती पीले पन्नो में देख..
शायद गुलाब खून में डुबो के लिखता है..!!
दिए सो जाते बड़ी जल्दी दवा खाकर..
वो उठकर साए पर साए को बुनता है..!!
बड़ी दूर किनारों पर कोई अपना बसता है..!!
गुल थामे अक्सर पहुँचते हैं जुगनू वहां..
शाम को सूरज वहाँ भी जल्दी डूबता है..!!
लालटेन फूँक रहती सारे तेल बाहर देख..
लिफाफे खोले बिना ही पूरी नज्मे पढता है..!!
बड़ी दर्द भरी रहती पीले पन्नो में देख..
शायद गुलाब खून में डुबो के लिखता है..!!
दिए सो जाते बड़ी जल्दी दवा खाकर..
वो उठकर साए पर साए को बुनता है..!!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें