बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखिया....!!!______ प्यासे गले में उतर आती....देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!______ पलके उचका के हम भी सोते हैं ए राहुल....पर ख्वाब हैं की उन पर अटकते ही नहीं....!!!______ आईने में आइना तलाशने चला था मैं देख....कैसे पहुचता मंजिल तो दूसरी कायनात में मिलती....!!! धुप में धुएं की धुधली महक को महसूस करते हुए....जाने कितने काएनात में छान के लौट चूका हूँ मैं....!!!______बर्बादी का जखीरा पाले बैठी हैं मेरी जिंदगी....अब और कितना बर्बाद कर पाएगा तू बता मौला....!!!______ सितारे गर्दिशों में पनपे तो कुछ न होता दोस्त....कभी ये बात जाके अमावास के चाँद से पूछ लो....!!!______"

शनिवार, 23 फ़रवरी 2013

बरामदे में...


नींद तम्बू तानने में लगी हैं...
ख्वाब पलकों पर चढ़े बैठे हैं...!!!

इन्ही सारे एहसासों को...
को एक गगरी में भर रहा...!!!

अबसारो से कुल्लियाँ मारता ...
मुह बाए बरामदे में खड़ा सुबह ...!!!

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें