बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखिया....!!!______ प्यासे गले में उतर आती....देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!______ पलके उचका के हम भी सोते हैं ए राहुल....पर ख्वाब हैं की उन पर अटकते ही नहीं....!!!______ आईने में आइना तलाशने चला था मैं देख....कैसे पहुचता मंजिल तो दूसरी कायनात में मिलती....!!! धुप में धुएं की धुधली महक को महसूस करते हुए....जाने कितने काएनात में छान के लौट चूका हूँ मैं....!!!______बर्बादी का जखीरा पाले बैठी हैं मेरी जिंदगी....अब और कितना बर्बाद कर पाएगा तू बता मौला....!!!______ सितारे गर्दिशों में पनपे तो कुछ न होता दोस्त....कभी ये बात जाके अमावास के चाँद से पूछ लो....!!!______"

सोमवार, 28 जनवरी 2013

रात सोना भूल गयी...!!!


रात सोना भूल गयी...!!!

कहा सुनी हो गयी फलक पर..
सब चले गए मुह फुलाए हुए...!!

तारे कम ही लिपटे थे देख..
अब्र मफलर बांधे चल दिए...!!

क्या माजरा था जान न पाया...
चाँद भी लाइट बुझा सो गया...!!

बड़ी देर से आँखे झुकाये...
पड़ा रहा टूटी खाटोले पे...!!

पर इसी कसमकस में देख..
आज रात ही सोना भूल गयी...!!

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