गोरखपुर में बारिश हो रही सोचा बड़ी रोज से कलम शांत हैं आज उसे भी मौका दूँ वरना नाराज हो जाएगा ... अगर सोचिये आँख मिचौली हो रही हो आकाश में इस समय तो क्या मंजर हो आहा सोच के मजा आ जाता...!!!
अभी निशा अपने शबाब पर थी कि
लग गई नजर कुछ लफंगे अब्रों की..!!
गरज रहे उसके अगल बगल जैसे..
बड़ी देर से सहमी सी बैठ हैं डर के..!!
सितारा भी गिनती गिन रहा आँख मूंदे..
बादलों के साए में छुपा बैठा चाँद...!!
जरा देख हट गयी तेरे ऊपर से कवर
अब जा टिप मार दे वरना हार जाएगा..!!
लो रोने लगा चाँद हार के अब तो..
रोएंगे बादल भी उसे देख कर..!!
अब कौन ले आये यादों के रुमाल...???
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें