बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखिया....!!!______ प्यासे गले में उतर आती....देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!______ पलके उचका के हम भी सोते हैं ए राहुल....पर ख्वाब हैं की उन पर अटकते ही नहीं....!!!______ आईने में आइना तलाशने चला था मैं देख....कैसे पहुचता मंजिल तो दूसरी कायनात में मिलती....!!! धुप में धुएं की धुधली महक को महसूस करते हुए....जाने कितने काएनात में छान के लौट चूका हूँ मैं....!!!______बर्बादी का जखीरा पाले बैठी हैं मेरी जिंदगी....अब और कितना बर्बाद कर पाएगा तू बता मौला....!!!______ सितारे गर्दिशों में पनपे तो कुछ न होता दोस्त....कभी ये बात जाके अमावास के चाँद से पूछ लो....!!!______"

शुक्रवार, 18 जनवरी 2013

यादों के रुमाल..???


गोरखपुर में बारिश हो रही सोचा बड़ी रोज से कलम शांत हैं आज उसे भी मौका दूँ वरना नाराज हो जाएगा ... अगर सोचिये आँख मिचौली हो रही हो आकाश में इस समय तो क्या मंजर हो आहा सोच के मजा आ जाता...!!!

अभी निशा अपने शबाब पर थी कि
लग गई नजर कुछ लफंगे अब्रों की..!!

गरज रहे उसके अगल बगल जैसे..
बड़ी देर से सहमी सी बैठ हैं डर के..!!

सितारा भी गिनती गिन रहा आँख मूंदे..
बादलों के साए में छुपा बैठा चाँद...!!

जरा देख हट गयी तेरे ऊपर से कवर
अब जा टिप मार दे वरना हार जाएगा..!!

लो रोने लगा चाँद हार के अब तो..
रोएंगे बादल भी उसे देख कर..!!

अब कौन ले आये यादों के रुमाल...???

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