जन्मदिन था चाँद का...सब आये थे...पर फिर भी मुह फुलाए खड़ा था...चाँद ऐसा क्यूँ...!!
आज तो जन्मदिन था चाँद का..
सितारों से सजी थी महफ़िल भी...!!
बिजली कड़क रही की फलक पे..
गिरे सहमे चाँद के बाजुओ में...!!
हवाए फूंक रही रंग बिरंगे गुब्बारे...
सितारे भी कतार में खड़े झालर बने...!!
रुका हैं चाँद किसी और के लिए...
नहीं आ पाएगा वो काट केक तू...
बड़ी सर्दी पड गयी हैं आज देख...
धरा ने ओढ़ लिया अब्रो का कम्बल...!!
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