हम यूँही बैठे थे तो एक ने पूछा ..
कविवर ये जंग भी हैं कैसा धोखा ..!!
एक तरफ मातम हैं ..
एक तरफ मातम हैं ..
तो दूजा खालिस ही हँसता ..!!
बारुंदों के बाजार में होता..
कोई तो इंसानियत का झोंका ..!!
तुम भी मरते हम भी मरते ..
तुम भी मरते हम भी मरते ..
फिर यह जंग कहे को होता ..!!
चलते गोलों की चक्की में देखो ..
चलते गोलों की चक्की में देखो ..
कुछ इधर का पीसता तो कुछ उधर का पीसता ..!!
इन खेतों की किस्मत देखिये कविवर ..
इन खेतों की किस्मत देखिये कविवर ..
यहाँ खाद की जगह बस खून हैं रिसता ..!!
इन युद्ध को कौन रुकवाये ..
इन युद्ध को कौन रुकवाये ..
अब प्रेम की फसल कौन उगाये ..!!
सबको हैं जल्दी खुद जीने की ..
सबको हैं जल्दी खुद जीने की ..
राज के साथ सब छनने की ..!!
कौन इहे अब कुछ बतलाये ..
कौन इहे अब कुछ बतलाये ..
बारोद बोझल हवायों को मुक्त कराये ..!!
प्रभावी !!
जवाब देंहटाएंजारी रहें।
शुभकामना !!
आर्यावर्त (समृद्ध भारत की आवाज़ )