बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखिया....!!!______ प्यासे गले में उतर आती....देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!______ पलके उचका के हम भी सोते हैं ए राहुल....पर ख्वाब हैं की उन पर अटकते ही नहीं....!!!______ आईने में आइना तलाशने चला था मैं देख....कैसे पहुचता मंजिल तो दूसरी कायनात में मिलती....!!! धुप में धुएं की धुधली महक को महसूस करते हुए....जाने कितने काएनात में छान के लौट चूका हूँ मैं....!!!______बर्बादी का जखीरा पाले बैठी हैं मेरी जिंदगी....अब और कितना बर्बाद कर पाएगा तू बता मौला....!!!______ सितारे गर्दिशों में पनपे तो कुछ न होता दोस्त....कभी ये बात जाके अमावास के चाँद से पूछ लो....!!!______"

शनिवार, 26 जनवरी 2013

यादों के लिफाफे...!!!



बड़ी सादगी रहती किसी के लेटर की आजकल तो दूरभाष यन्त्र आ चूका हैं वरना लोग दिनों दिनों इन्तेजार में गुजारते की उनकी बेसब्री का आखिर क्या अंजाम होगा...शायद आप कुछ हम तक पहुछे थोडा पढ़िए फिर समझिये...आखिर हम सुना रहे एक लिफाफे की दास्ताँ..!!!
बड़ी शालीनता से चला आया..
यादों का लिफाफा...!!!

बैठा एक मठमैले थैले में छुपके ..
कहीं नजर न लगे..!!!

तभी लभेड़े मुहर की काजल
चेहरे पर पहचानो...!!!

कितने जुड़वे हैं उनके नाम
लिपटे हैं सीने से...!!!

लाखो सैयारे फॉगता लगता..
आया हैं मेरे पास ...!!!

अब गले मिल ले जल्दी देख...
मुझसे रहा न जाता..!!!

काफी बेढंगा लग रहा तू आज..
भूल गया लिपटना भी...!!!

उफ़ तू तो बेजान हैं हमें लगा..
लिफाफे भी बोलते...!!!

पर पढना पड़ता चश्मा लगा के
वरना बहक जाते..!!!

हर वो दरीचे जहा से आवाज आती..
पकड़ो तो सही...!!!

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