बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखिया....!!!______ प्यासे गले में उतर आती....देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!______ पलके उचका के हम भी सोते हैं ए राहुल....पर ख्वाब हैं की उन पर अटकते ही नहीं....!!!______ आईने में आइना तलाशने चला था मैं देख....कैसे पहुचता मंजिल तो दूसरी कायनात में मिलती....!!! धुप में धुएं की धुधली महक को महसूस करते हुए....जाने कितने काएनात में छान के लौट चूका हूँ मैं....!!!______बर्बादी का जखीरा पाले बैठी हैं मेरी जिंदगी....अब और कितना बर्बाद कर पाएगा तू बता मौला....!!!______ सितारे गर्दिशों में पनपे तो कुछ न होता दोस्त....कभी ये बात जाके अमावास के चाँद से पूछ लो....!!!______"

बुधवार, 2 जनवरी 2013

देखा भी नहीं



चलती गयी ताउम्र मुड के देखा भी नहीं ...
सांसे रोक रखे थे तबसे कोई सुना भी नहीं ..!! 

बस मिट्टी ओढ़े बिताए जाने कितनी सर्दिया..
कोई मजार तलक आया तो पर रुक भी नहीं..!! 

टिन की छत भी थी देख थोड़ी टूटी हुयी..
चादर भीगते गया किसी ने पसारा भी नहीं..!! 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें