कितनों की खिदमत का ख्याल कर रखे हैं...
हम अपनी दराज मे काढ़े रूमाल रख रखे हैं...!!
सदियों से जमती जा रही टोटियों जैसे...
अपनी हाथो से खुद जीना मुहाल कर रखे हैं...!!
रात के आते निकाल जाते स्वान बाहर...
घर के रखवाले ही अब बवाल कर रखे हैं...!!!
सोती चाँदनी को जगाने खातिर देख...
झिंगुर भी अपनी आवाज़े निहाल कर रखे हैं...!!!
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