बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखिया....!!!______ प्यासे गले में उतर आती....देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!______ पलके उचका के हम भी सोते हैं ए राहुल....पर ख्वाब हैं की उन पर अटकते ही नहीं....!!!______ आईने में आइना तलाशने चला था मैं देख....कैसे पहुचता मंजिल तो दूसरी कायनात में मिलती....!!! धुप में धुएं की धुधली महक को महसूस करते हुए....जाने कितने काएनात में छान के लौट चूका हूँ मैं....!!!______बर्बादी का जखीरा पाले बैठी हैं मेरी जिंदगी....अब और कितना बर्बाद कर पाएगा तू बता मौला....!!!______ सितारे गर्दिशों में पनपे तो कुछ न होता दोस्त....कभी ये बात जाके अमावास के चाँद से पूछ लो....!!!______"

सोमवार, 1 अक्तूबर 2012

एक अजीब रात...!!!


आज यह रात भी आ गयी ... !!!

जैसे हो किसी घने बगीचे के...

पेडो कि ओट लिए छुपते छुपते...!!!

लगता हैं बादल की जेब से..

चाँद की चमकती अठन्नी चुराई हैं..!!!

वही फटी पुरानी काली शाल लपेटे...

चल पड़ी हैं मेले में गुम होने को...!!!

अब यह सन्नाटे इसकी...

आखों में धूल जैसे चुभ रहे...!!!

कोई बुला तो दे उन झीगुरों के..
टोलियों को कहा गायब हो गए...!!

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