बड़ी बेरहमी से उजाड देते पेडो से भरी बस्तियां...कुछ बूढ़े तो कुछ जवान पेड़ ऐसे काट दिए जाते मानो उनका अस्तित्वा ही नहीं था कभी भी...हाय रे लकडहारे सुन रे लकडहारे...!!!
ओह लकडहारे.....!!
कुछ दूर एक बूढी चट्टान पर .. !!
नजर लगाये बैठे
कुछ लोग ..
एक पुराना पेड़ जैसे दोपहर को खाके .. !!
लेता हैं पाँव पसरे .. अचानक लोग उठा ले गए उसे ..!!
देख कैसे अकेला तड़प रहा उसका अक्ष ..!!
किसीकी आरी और कुल्हाड़ी से निकले लाल पानी ..
से मुह धुल रहा था शाम तलक उठाकर .. !!
ज़रा सा भी वो पहचान ना सका ..
कि यह उसी का लहू हैं जिसमे
डुबकी लगाकर अभी अभी निकला हैं वो .. !!
कुछ दूर एक बूढी चट्टान पर .. !!
नजर लगाये बैठे
कुछ लोग ..
एक पुराना पेड़ जैसे दोपहर को खाके .. !!
लेता हैं पाँव पसरे .. अचानक लोग उठा ले गए उसे ..!!
देख कैसे अकेला तड़प रहा उसका अक्ष ..!!
किसीकी आरी और कुल्हाड़ी से निकले लाल पानी ..
से मुह धुल रहा था शाम तलक उठाकर .. !!
ज़रा सा भी वो पहचान ना सका ..
कि यह उसी का लहू हैं जिसमे
डुबकी लगाकर अभी अभी निकला हैं वो .. !!
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