आज काफी दिन बाद भोर में ही नींद खुल गयी अब क्या था महसूस होते गया हर वो आलम जो प्रकृति मजे ले रही थी और उठा लाया अपनी कलम दवात साजाने को हर वो मंजर जो सुबह की चुस्की ले रहा...!!!आज सुबह भी सर्द अंगडाईयाँ लेती
दुबुक गयी अब्र की रजाईयों में..!!!
सूरज भी उठा देर से थामे
रंगबिरंगे मंजन सजाये ब्रश पर....!!!
बयार आ गयी सुबह थामे बर्फीले अक्स
जैसे लिए हो सुबह की अलार्म घडी...!!!
रात को देर हो गयी थी सोने में
देख तभी निशा जाने का नाम न ले रही..!!!
कल 18/जनवरी/2015 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !