बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखिया....!!!______ प्यासे गले में उतर आती....देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!______ पलके उचका के हम भी सोते हैं ए राहुल....पर ख्वाब हैं की उन पर अटकते ही नहीं....!!!______ आईने में आइना तलाशने चला था मैं देख....कैसे पहुचता मंजिल तो दूसरी कायनात में मिलती....!!! धुप में धुएं की धुधली महक को महसूस करते हुए....जाने कितने काएनात में छान के लौट चूका हूँ मैं....!!!______बर्बादी का जखीरा पाले बैठी हैं मेरी जिंदगी....अब और कितना बर्बाद कर पाएगा तू बता मौला....!!!______ सितारे गर्दिशों में पनपे तो कुछ न होता दोस्त....कभी ये बात जाके अमावास के चाँद से पूछ लो....!!!______"

शनिवार, 20 अक्तूबर 2012

सुबह की चुस्की...!!!

आज काफी दिन बाद भोर में ही नींद खुल गयी अब क्या था महसूस होते गया हर वो आलम जो प्रकृति मजे ले रही थी और उठा लाया अपनी कलम दवात साजाने को हर वो मंजर जो सुबह की चुस्की ले रहा...!!!
आज सुबह भी सर्द अंगडाईयाँ लेती
दुबुक गयी अब्र की रजाईयों में..!!!

सूरज भी उठा देर से थामे
रंगबिरंगे मंजन सजाये ब्रश पर....!!!

बयार आ गयी सुबह थामे बर्फीले अक्स
जैसे लिए हो सुबह की अलार्म घडी...!!!

रात को देर हो गयी थी सोने में
देख तभी निशा जाने का नाम न ले रही..!!!

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