सबके जनम दिवस पर बधाइयां लिखते लिखते यूँ ही सोचने लगा की अगर सूरज जन्मदिन मनाये तो उसमे आखिर क्या...कमी रह जाएगी...उसे बता नहीं सकता बस लिख सकता हूँ भावनाओं की आवा पोह को जेहन में से ... !!!
हवाओं ने फुक मारा के फूल गया गुब्बारा..
बाँध दिया उसके सिरे को पहाड़ों के टीलों से ..!!
बड़े ख़ुशी से उड़ते अब्र उसकी मांघ झाड रहे ..
पक्षी भी चल दिए लोगों को न्योता बाटने ..
चमकती बिजली लिए तैयार बर्फ का केक काटने को .. !!
कोई अकेले बैठा था मुरझाये एक कोने में ..
पर मना न सकता कोई उसको आने खातिर .. !!
उसके आते पिन लग जाएगी गुब्बारे में ...
निशा ओह्ह निशा मुमकिन नहीं बुलाना .. !!
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