अभी एक किताब निकाली थी पढ़ने खातिर दराज से देखा कुछ चिपका हुवा था किताबों के बीच में रंग बिरंगा...धागों से लिपटा...अंग्रेजी में बुकमार्क की संज्ञा दी जाती उसको..!! अब पढूं क्या मैं सोचने लगा काहे लगाते इनको...उसी सोच ने कुछ बना दी लाइने पढ़िए आप भी...!!!
किसी कसी दराज में रखी किताब...
बड़ी अकेली सिमटे पुरानी जिल्द में...!!!
जाने कितने बुकमार्क बाहर निकले...
शायद कई सिलवटें अपने में दबाये...!!!
लाल...नीले...पीले...चिपके एक में..
कौन समझे किसकी खातिर कौन से हैं...!!!
कोई पृष्ठ भी मुड़ा हैं बीच में...
जाने क्यूँ आखिर उसके आगे सफ़ेद क्यूँ हैं...
किरदार सहित काले अक्षर भी लापता...!!!
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