ब्लॉग मे पड़े ड्राफ्ट
अक्सर चीखा करते।
पर हमे भी
नयी पोस्ट लिखने मे
कितना मज़ा आता।
पुरानी चीज़े,
हमेशा क्यूँ,
बोझल हो जाती।
उन्हे शायद,
तवज्जो नहीं मिलता,
कभी जैसा होता था।
- किसी ब्लॉगर से पूछिएगा ये
वाकया उनके सामने ज़रूर आया होगा।
©खामोशियाँ-२०१४//मिश्रा राहुल
सुन्दर प्रस्तुति-
जवाब देंहटाएंआभार भाई जी-
विल्कुल सही फ़रमाया भाई जी।
जवाब देंहटाएंखूबसूरत कविता. मन के भाव स्फुटित हो रहे हैं...
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