बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखिया....!!!______ प्यासे गले में उतर आती....देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!______ पलके उचका के हम भी सोते हैं ए राहुल....पर ख्वाब हैं की उन पर अटकते ही नहीं....!!!______ आईने में आइना तलाशने चला था मैं देख....कैसे पहुचता मंजिल तो दूसरी कायनात में मिलती....!!! धुप में धुएं की धुधली महक को महसूस करते हुए....जाने कितने काएनात में छान के लौट चूका हूँ मैं....!!!______बर्बादी का जखीरा पाले बैठी हैं मेरी जिंदगी....अब और कितना बर्बाद कर पाएगा तू बता मौला....!!!______ सितारे गर्दिशों में पनपे तो कुछ न होता दोस्त....कभी ये बात जाके अमावास के चाँद से पूछ लो....!!!______"

मंगलवार, 17 जून 2014

ड्राफ्ट


ब्लॉग मे पड़े ड्राफ्ट
अक्सर चीखा करते।
पर हमे भी
नयी पोस्ट लिखने मे
कितना मज़ा आता।

पुरानी चीज़े,
हमेशा क्यूँ,
बोझल हो जाती।

उन्हे शायद,
तवज्जो नहीं मिलता,
कभी जैसा होता था।

- किसी ब्लॉगर से पूछिएगा ये
वाकया उनके सामने ज़रूर आया होगा।

©खामोशियाँ-२०१४//मिश्रा राहुल

3 टिप्‍पणियां: