बदल रहा मौसम
अब कुछ होने को है,
जो हुआ था कभी
जो हुआ था कभी
अब फिर होने को है।
यादें ठहरी कहाँ
यादें ठहरी कहाँ
कुलाचे मार रही अब,
जिंदगी सारी हदें
जिंदगी सारी हदें
फिर पार करने को है।
पलकों की छांव में
पलकों की छांव में
सपनों को बिठलाए,
ये मन एक बार फिर
ये मन एक बार फिर
फलक छूने को है।
©खामोशियाँ-२०१४
©खामोशियाँ-२०१४
उफ़ ... कमाल हैं ... बस अंदर तक महसूस करने के लिए ...
जवाब देंहटाएंक्या बात है ..
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