बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखिया....!!!______ प्यासे गले में उतर आती....देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!______ पलके उचका के हम भी सोते हैं ए राहुल....पर ख्वाब हैं की उन पर अटकते ही नहीं....!!!______ आईने में आइना तलाशने चला था मैं देख....कैसे पहुचता मंजिल तो दूसरी कायनात में मिलती....!!! धुप में धुएं की धुधली महक को महसूस करते हुए....जाने कितने काएनात में छान के लौट चूका हूँ मैं....!!!______बर्बादी का जखीरा पाले बैठी हैं मेरी जिंदगी....अब और कितना बर्बाद कर पाएगा तू बता मौला....!!!______ सितारे गर्दिशों में पनपे तो कुछ न होता दोस्त....कभी ये बात जाके अमावास के चाँद से पूछ लो....!!!______"

बुधवार, 30 जुलाई 2014

सूनी वादियाँ - Maestro Productions



सूनी वादियों से कोई पत्ता टूटा है,
वो अपना बिन बताए ही रूठा है।

लोरी सुनाने पर कैसे मान जाए,
वो बच्चा भी रात भर का भूखा है।

बिन पिए अब होश में रहता कहाँ,
वो साकी ऐसा मैखानो से रूठा है।

मुसाफ़िर बदलते रहे नक्शे अपने,
वो रास्ता भी आगे बीच से टूटा है।

रात फ़लक से शिकायत कौन करे,
कोने का तारा अकेले क्यू रूठा है।

©खामोशियाँ-२०१४/मिश्रा राहुल
(३०-जुलाई-२०१४)(डायरी के पन्नों से)

5 टिप्‍पणियां: