बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखिया....!!!______ प्यासे गले में उतर आती....देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!______ पलके उचका के हम भी सोते हैं ए राहुल....पर ख्वाब हैं की उन पर अटकते ही नहीं....!!!______ आईने में आइना तलाशने चला था मैं देख....कैसे पहुचता मंजिल तो दूसरी कायनात में मिलती....!!! धुप में धुएं की धुधली महक को महसूस करते हुए....जाने कितने काएनात में छान के लौट चूका हूँ मैं....!!!______बर्बादी का जखीरा पाले बैठी हैं मेरी जिंदगी....अब और कितना बर्बाद कर पाएगा तू बता मौला....!!!______ सितारे गर्दिशों में पनपे तो कुछ न होता दोस्त....कभी ये बात जाके अमावास के चाँद से पूछ लो....!!!______"

बुधवार, 16 जुलाई 2014

हर तर्को का यजमान हूँ मैं....!!!

बस आकड़ों से खेलता रहता,
हर चर्चों का मेहमान हूँ मैं....!!
अकेले सैंकड़ों से लड़ता रहता,
हर तर्को का यजमान हूँ मैं....!!!

अमेरिका से इंग्लैंड पहुंचता,
रूस से उठता ज्वार हूँ मैं...!!!
वीटो-पावर लिस्ट दिखाता,
थका हारा हिंदुस्तान हूँ मैं...!!!

आर्मी अपनी कभी ना देखता,
फ्रांस को करता सलाम हूँ मैं...!!
अग्नि अपनी कभी ना सेंकता...
चीन का करता गुणगान हूँ मैं....!!!

चाय की चुस्की पर देश गटकता,
चाचा के ढाबे की शान हूँ मैं....!!
हर रोज़ सुबह तो यही पहुंचता...
थका हारा हिंदुस्तान हूँ मैं....!!!
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©खामोशियाँ-२०१४//मिश्रा राहुल
(१६-०७-२०१४) (डायरी के पन्नो से)

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