बस आकड़ों से खेलता रहता,
हर चर्चों का मेहमान हूँ मैं....!!
अकेले सैंकड़ों से लड़ता रहता,
हर तर्को का यजमान हूँ मैं....!!!
अमेरिका से इंग्लैंड पहुंचता,
रूस से उठता ज्वार हूँ मैं...!!!
वीटो-पावर लिस्ट दिखाता,
थका हारा हिंदुस्तान हूँ मैं...!!!
आर्मी अपनी कभी ना देखता,
फ्रांस को करता सलाम हूँ मैं...!!
अग्नि अपनी कभी ना सेंकता...
चीन का करता गुणगान हूँ मैं....!!!
चाय की चुस्की पर देश गटकता,
चाचा के ढाबे की शान हूँ मैं....!!
हर रोज़ सुबह तो यही पहुंचता...
थका हारा हिंदुस्तान हूँ मैं....!!!
________________
©खामोशियाँ-२०१४//मिश्रा राहुल
(१६-०७-२०१४) (डायरी के पन्नो से)
हर चर्चों का मेहमान हूँ मैं....!!
अकेले सैंकड़ों से लड़ता रहता,
हर तर्को का यजमान हूँ मैं....!!!
अमेरिका से इंग्लैंड पहुंचता,
रूस से उठता ज्वार हूँ मैं...!!!
वीटो-पावर लिस्ट दिखाता,
थका हारा हिंदुस्तान हूँ मैं...!!!
आर्मी अपनी कभी ना देखता,
फ्रांस को करता सलाम हूँ मैं...!!
अग्नि अपनी कभी ना सेंकता...
चीन का करता गुणगान हूँ मैं....!!!
चाय की चुस्की पर देश गटकता,
चाचा के ढाबे की शान हूँ मैं....!!
हर रोज़ सुबह तो यही पहुंचता...
थका हारा हिंदुस्तान हूँ मैं....!!!
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©खामोशियाँ-२०१४//मिश्रा राहुल
(१६-०७-२०१४) (डायरी के पन्नो से)
badhiya
जवाब देंहटाएंधन्यवाद। स्मिता मैम।
हटाएंदिल को गहराई से छूने वाली खूबसूरत और संवेदनशील प्रस्तुति. आभार.
जवाब देंहटाएंसादर,
Recent Post शब्दों की मुस्कराहट पर ….दिन में फैली ख़ामोशी
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