शरीफों ने दंगा मचा रखा है,
तिजोरियों को चंगा बना रखा है ...!!!
संसद के पंडो की बाजीगरी देखो
कमंडलो को गंदा बना रखा है...!!!
इंसाफ के तराजू पर भरोसा कहाँ
कानून को अंधा बना रखा है...!!!
पेट काटती गरीबों की खोलियों मे,
इफ्तार को धंधा बना रखा है....!!!
(०९-जुलाई-२०१४) (डायरी के पन्नो से)
©खामोशियाँ-२०१४//मिश्रा राहुल
आप की ये खूबसूरत रचना...
जवाब देंहटाएंदिनांक 10/07/2014 की नयी पुरानी हलचल पर लिंक की गयी है...
आप भी इस हलचल में सादर आमंत्रित हैं...आप के आगमन से हलचल की शोभा बढ़ेगी...
सादर...
कुलदीप ठाकुर...
धंधे अपने अपने ...
जवाब देंहटाएंबहुत सही ..
वाह बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंमन को छूती हुई
संवेदनाओं को व्यक्त करती कविता---
उत्कृष्ट प्रस्तुति
बधाई ----
उम्दा
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