बड़ा दूर चला आया हूँ...इस मझी हुई ज़िंदगी मे...कुछ लम्हे नोच कर बटुए मे रख लू...!!
एक शाम को ढलता सूरज...उसपे डोरे डालते लफंगे अब्र....क्या मनोहर दृश्य रहता...पर फुर्सत नहीं हमे की देख सके उनकी अठकेलियाँ...!!
बस चाहता हूँ...
वक़्त की डायरी से
चुरा लूँ एक शाम...!!
यादों की भींड से
बुला लूँ एक नाम...!!
वादो की ढ़ेबरी मे
माना लू एक जाम...!!
साजो की गगरी से
सजा लू एक पैगाम...!!
बस चाहता हूँ...
वक़्त की डायरी से
चुरा लूँ एक शाम...!!
यादों की भींड से
बुला लूँ एक नाम...!!
वादो की ढ़ेबरी मे
माना लू एक जाम...!!
साजो की गगरी से
सजा लू एक पैगाम...!!
बस चाहता हूँ...
~खामोशियाँ©
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