जिस्म बसता यहाँ...यादें कहा खोयी रहती...
हर फुर्सत के पलो में...निगाहें यही खोजती रहती ...
उन छुपती सर्गोसियों तले देख...
तस्सवुरों में यूँही उलझाया करती...
हर फुर्सत के पलो में...निगाहें यही खोजती रहती ...
उन छुपती सर्गोसियों तले देख...
तस्सवुरों में यूँही उलझाया करती...
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