यह पत्थर लिपटे धरा से रो क्यूँ रहा ...
मुझे पता था वही उसका प्यार होगा...!!!
एक खत पागल हवा की दुप्पटे पर....
कभी लिखा रखा था तुमने याद होगा...!!!
बड़ी इन्तेजार करके सो गया तेरी चौखट पे...
हो ना हो वो ही तेरा यार होगा...!!
मुझे पता था वही उसका प्यार होगा...!!!
एक खत पागल हवा की दुप्पटे पर....
कभी लिखा रखा था तुमने याद होगा...!!!
बड़ी इन्तेजार करके सो गया तेरी चौखट पे...
हो ना हो वो ही तेरा यार होगा...!!
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