बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखिया....!!!______ प्यासे गले में उतर आती....देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!______ पलके उचका के हम भी सोते हैं ए राहुल....पर ख्वाब हैं की उन पर अटकते ही नहीं....!!!______ आईने में आइना तलाशने चला था मैं देख....कैसे पहुचता मंजिल तो दूसरी कायनात में मिलती....!!! धुप में धुएं की धुधली महक को महसूस करते हुए....जाने कितने काएनात में छान के लौट चूका हूँ मैं....!!!______बर्बादी का जखीरा पाले बैठी हैं मेरी जिंदगी....अब और कितना बर्बाद कर पाएगा तू बता मौला....!!!______ सितारे गर्दिशों में पनपे तो कुछ न होता दोस्त....कभी ये बात जाके अमावास के चाँद से पूछ लो....!!!______"

गुरुवार, 30 अगस्त 2012

आग पर यादें...

गुलामी हैं या आजादी पता ही न चलता,
गैस के चम्बर बिना ही शरीर फुकता रहता...!!!
इन् स्टील की जंजीरों को क्या बनाना,
अपराध बिना भी जीवन ताउम्र जलता रहता...!!!
यूँ उठा कर रख दी हैं हीरोशीमा पर यादें,
पर जेहन का क्या हैं जो खुद उनसे डरता रहता....!!!

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