हमसे वो मिले भी तो नजरे चुराने लगे,
जाने क्या कहा था उस दिन उनको हमने,
यूँ सीन्पों से निकलकर मोती झाकने लगे,
एक अजब सी तस्सवुर थी जेहन में पली,
दिन ठहरे पर फलक पर तारे टांगने लगे,
क्यूँ रोकू मैं खुद को जाने से बता दे ए मौला,
जाने क्या कहा था उस दिन उनको हमने,
यूँ सीन्पों से निकलकर मोती झाकने लगे,
एक अजब सी तस्सवुर थी जेहन में पली,
दिन ठहरे पर फलक पर तारे टांगने लगे,
क्यूँ रोकू मैं खुद को जाने से बता दे ए मौला,
जब कशिश के तार हमें उस तरफ बुलाने लगे,
कितनी तड़प हैं मिलने की पूछ दिनेश से,
वो क्यूँ आखिर किरणों की ओट तलक आने लगे..
कितनी तड़प हैं मिलने की पूछ दिनेश से,
वो क्यूँ आखिर किरणों की ओट तलक आने लगे..
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