आती आती वो दौड़े दौड़े,
लेकर के पकडे कुछ भौरे,
उसकी आजादी छीन जाने की,
उसकी व्यथा बतलाने की..
जब जब यूँ कोशिश करता हूँ,
तब तब यूँही कुछ खोता हूँ,
लेकर के पकडे कुछ भौरे,
उसकी आजादी छीन जाने की,
उसकी व्यथा बतलाने की..
जब जब यूँ कोशिश करता हूँ,
तब तब यूँही कुछ खोता हूँ,
फूलो से चिपके रहते वो,
फूलो के साथ ही चलते वो,
दुनिया वाले ये क्या जाने,
उनकी खातिर सब खोते वो..
दिन होती या निशा चद्ती,
गुलो के गुलाबो में सोते वो,
रश खीच खीच ले जाते वो,
लोगो को मिठास दिलाते वो..
पर लोग भी तो क्या जाने,
शोहरत खातिर मरना जाने..
भौरे थो एक बहाना हैं,
साथ मुक्कदर ही लिए जाना हैं..
कौन आता पकडे ज्ञान ध्यान,
सब यही छोरकर जाना हैं,
रह जाएंगे वो अटूट सत्य,
बस वही लिए दफजाना हैं..
फूलो के साथ ही चलते वो,
दुनिया वाले ये क्या जाने,
उनकी खातिर सब खोते वो..
दिन होती या निशा चद्ती,
गुलो के गुलाबो में सोते वो,
रश खीच खीच ले जाते वो,
लोगो को मिठास दिलाते वो..
पर लोग भी तो क्या जाने,
शोहरत खातिर मरना जाने..
भौरे थो एक बहाना हैं,
साथ मुक्कदर ही लिए जाना हैं..
कौन आता पकडे ज्ञान ध्यान,
सब यही छोरकर जाना हैं,
रह जाएंगे वो अटूट सत्य,
बस वही लिए दफजाना हैं..
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