वापस न
लौट आये साँसे देख,
दो गज
दो गज
जमीन भी
रोज भीगाने आता कोई...!!!
अब्रों से
कहो जरा
रोक दे अबसार अपनी,
भीगते कब्रों
भीगते कब्रों
को दामन से
सुखाने आता कोई...!!
हम तो
इसी खुशबू से
दिल लगा बैठे थे,
दिन बदलते ही
दिन बदलते ही
यह मिटटी भी
बदलवा जाता कोई...!!
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