साजिशों को दामन से लगाकर देखो,
उस सुनी बस्तियों में नगमे गाकर देखो,
पलटने लगेंगे दस्तूर मुक्कद्दर के,
बस हाथो को भट्ठी में तपाकर देखो...!!!
एक उमस भरी दुपहरी पालती ये ज़िन्दगी,
हर रोज ख्वाबों के पानी से नहाकर देखो..!!!
इतने दूर भी ना होते सितारे ए दोस्त,
बस एक बार तुम बाहें उचकर देखो...!!!
गर्दिशे तो पालथी मारकर बैठी रहेंगी,
बस कभी उनकी खातिरदारी में यूँ उतरकर देखो...!!!
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