बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखिया....!!!______ प्यासे गले में उतर आती....देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!______ पलके उचका के हम भी सोते हैं ए राहुल....पर ख्वाब हैं की उन पर अटकते ही नहीं....!!!______ आईने में आइना तलाशने चला था मैं देख....कैसे पहुचता मंजिल तो दूसरी कायनात में मिलती....!!! धुप में धुएं की धुधली महक को महसूस करते हुए....जाने कितने काएनात में छान के लौट चूका हूँ मैं....!!!______बर्बादी का जखीरा पाले बैठी हैं मेरी जिंदगी....अब और कितना बर्बाद कर पाएगा तू बता मौला....!!!______ सितारे गर्दिशों में पनपे तो कुछ न होता दोस्त....कभी ये बात जाके अमावास के चाँद से पूछ लो....!!!______"

मंगलवार, 28 अगस्त 2012

23 मार्च...भगत सिंह स्पेशल...

"कमीज में खून छुपाने की ये रीत पुरानी हैं,
दर्द से काँप उठे लफ्ज ए दोस्त,
आज उनकी समताओ का वर्णन करना,
शायद ये उनकी सरफरोसी से बेमानी हैं,
दिलेरी तो ऐसी हैं जैसे भीड़ जाए सिंह से,
पर गिर गए फूल बिन देखे ढेरो बसंत ए दोस्त,

यह उसी यौवन में लिखी कभी की गीत पुरानी हैं.."
कुछ टूटी फूटी पंक्तियाँ थी हमारे जेहन में हमने उसे लयबद्ध किया हैं...

A Striker Salute to our Bhagat Singh,Rajguru,Sukhdev..
Let have throw a simple glimpse on those pages printed red mark with these..Braves..
Jai Hind..

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