बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखिया....!!!______ प्यासे गले में उतर आती....देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!______ पलके उचका के हम भी सोते हैं ए राहुल....पर ख्वाब हैं की उन पर अटकते ही नहीं....!!!______ आईने में आइना तलाशने चला था मैं देख....कैसे पहुचता मंजिल तो दूसरी कायनात में मिलती....!!! धुप में धुएं की धुधली महक को महसूस करते हुए....जाने कितने काएनात में छान के लौट चूका हूँ मैं....!!!______बर्बादी का जखीरा पाले बैठी हैं मेरी जिंदगी....अब और कितना बर्बाद कर पाएगा तू बता मौला....!!!______ सितारे गर्दिशों में पनपे तो कुछ न होता दोस्त....कभी ये बात जाके अमावास के चाँद से पूछ लो....!!!______"

सोमवार, 17 सितंबर 2012

शब के मोती..!!!


हर रात के बाद एक उजाला मांगती जिंदगी में जाने कितने ऐसे क्यूँ आ जाते जिनका जवाब शायद इस कायनात में नहीं मिल पाता...मरहम तो मरहम दर्द भी चलते रहते उनके ना होने पर लोग उन्हें भी खोजते...और कुछ दर्द की परिकाष्ठा का माप तो छितिज तक ही मिलता...जो न कभी धरा पर मिला हैं और न ही कभी मिलेगा...!!!
शब रोती रह गयी पर कोई मनाने न आया,
चाँद टंगा फलक पर कोहनी बल चला आया...!!!


झील तो सो रहा था साँसे रोक कर ऐसे,
किसी का टपका आंसू उसे जगा आया...!!!


साहिलों पर अक्सर औंहाते सींप दिखे,
उन्होंने भी उसको कुछ बहला फुसलाया...!!!


अब तो आ गया सूरज टीले पर चढ़ने,
लगता उसी ने हमारी शब हैं भगाया...!!!
 

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