बड़ी खामोसी से बैठे हैं फूलो के धरौदे....जरा पूछ बतलाएंगे सारी गुस्ताखिया....!!!______ प्यासे गले में उतर आती....देख कैसे यादों की हिचकियाँ....!!!______ पलके उचका के हम भी सोते हैं ए राहुल....पर ख्वाब हैं की उन पर अटकते ही नहीं....!!!______ आईने में आइना तलाशने चला था मैं देख....कैसे पहुचता मंजिल तो दूसरी कायनात में मिलती....!!! धुप में धुएं की धुधली महक को महसूस करते हुए....जाने कितने काएनात में छान के लौट चूका हूँ मैं....!!!______बर्बादी का जखीरा पाले बैठी हैं मेरी जिंदगी....अब और कितना बर्बाद कर पाएगा तू बता मौला....!!!______ सितारे गर्दिशों में पनपे तो कुछ न होता दोस्त....कभी ये बात जाके अमावास के चाँद से पूछ लो....!!!______"

बुधवार, 16 अप्रैल 2014

देश



राख़ खोई कस्ती को बदनाम होने दो,
साख खोई बस्ती को श्मशान होने दो।

कलई खुल जाती सब झूठे वादों की,
आदमी से आदमी की पहचान होने दो।

जुबान खुलेगी तो काट दी जाएगी,
पन्नो से पन्नो का समाधान होने दो।

एक ही छत तले बदल जाती फ़ाइलें,
कोनो से कोनो को सावधान होने दो।

बदल जाएंगे जीने के मायने बड़े जल्द,
अमीरों से अमीरों को परेशान होने दो।

शान से चलेगी इस देश की भी गाड़ी,
बहानो से बहानो का पूर्वानुमान होने दो।

©खामोशियाँ-२०१४//मिश्रा राहुल

2 टिप्‍पणियां:

  1. कलई खुल जाती सब झूठे वादों की
    आदमी से आदमी की पहचान होने दो।
    ...........जबरदस्त

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. कलई खुल जाएगी दीदी ... ये सब सोना, चांदी की कलई ही है अंदर तो सब जंग लगे लोहे है।

      हटाएं